नवनिर्माण के लिये चाहिये - आशा, खुलापन और आनन्दमय जीवन
प्रिय धर्माध्यक्षो, पुरोहितो एवं भाइयो और बहनो आज मैं ब्राजील के प्रत्येक परिवार
की माँ - अपारेसिदा की माता मरिया के तीर्थस्थल में आकर अपार खुशी का अनुभव कर रहा हैँ।
रोम के धर्माध्यक्ष चुने जाने के तुरन्त बाद मैंने रोम में अवस्थित संत मरिया मेजर बसिलिका
जाकर संत पेत्रुस का उत्तराधिकारी होने के अपने दायित्व को माता मरिया को समर्पित कर
दिया था। आज मैं यहाँ माता मरिया के चरणों में इसलिये आया हूँ ताकि लतिनी अमेरिका के
लोगों को माता मरिया को सौंप दूँ और विश्व युवा दिवस की सफलता के लिये उनकी आशिष की कामना
करुँ।
आज मैं उस दिव्य घटना को बतलाना चाहता हूँ जो 6 साल पहले उस समय घटी जब
लैटिन अमेरिकी और कैरिब्बियन धर्माध्यक्षों की पाँचवी सभा का आयोजन माता मरिया के इसी
पावन तीर्थस्थल में सम्पन्न हुआ था। मैंने देखा था कि कैसे धर्माध्यक्षों ने ‘येसु से
मिलने, उसका शिष्य बनने और उसके मिशन’ विषय पर चिन्तन करते हुए तीर्थस्थल में आकर माता
मरिया को अपना जीवन समर्पित करने वाले हज़ारों तीर्थयात्रियों से प्रेरणा, प्रोत्साहन
और साहस प्राप्त किया था।
लैटिन अमेरिकी कलीसिया के लिये वह सभा एक दिव्य पल
था। यह एक ऐसा पल था जब धर्माध्यक्षों ने माता मरिया की ममतामयी सुरक्षा के छत्रछाया
में तीर्थयात्रियों के विश्वास से प्रेरित होकर अपारेसिदा दस्तावेज प्रकाशित किया था।
जब भी कलीसिया येसु को खोजती है वह माता मरिया के घर का दरवाज़ा खटखटाती है और कहती है
कि ‘हमें येसु को दिखाइये’। और ये माता मरिया ही हैं जो पूरी कलीसिया को सच्चे शिष्य
बनने के बारे में शिक्षा देतीं हैं। यही कारण है कि कलीसिया सदा ही माता मरिया के पदचिह्नों
पर चलते हुए ही अपना मिशन पूरा करती है।
न्याय एकता और भ्रातृप्रेम की दुनिया आज
विश्व युवा दिवस ने मुझ ब्राजील ले आया है और मैं उस माता मरिया के दरवाजे पर आया हूँ
जिन्होंने येसु को पाला पोसा और बड़ा किया हम सभी धर्मगुरुओं, अभिभावकों और शिक्षकों
की मदद करे ताकि हम अपने बच्चों तथा युवाओं में उन मूल्यों को दे सकें जिससे एक ऐसी दुनिया
का निर्माण हो सके जहाँ न्याय, एकता और भ्रातृत्व हो। इसलिये आज मैं तीन मनोभावों या
गुणों के बारे में बोलना चाहूँगा। वे हैं - आशावादिता, ईश्वर के आश्चर्यपूर्ण कार्य
के प्रति खुलापन और आनन्दमय जीवन।
आशावादिता आशावादिता क्या है? आज के यूखरिस्तीय
बलिदान में लिये गये दूसरे पाठ में हम माता मरिया और कलीसिया के बारे में प्रतीकात्मक
रूप से चर्चा पाते हैं। माता मरिया और कलीसाया को एक ड्रैगोन या शैतान पीछा करता है और
उसके बच्चे को निगलना चाहता है। यह दृश्य मृत्यु का नहीं पर जीवन का है क्योंकि यहाँ
ईश्वर प्रकट होते हैं और बच्चे को बचा लेते हैं। हमारे जीवन में कई कठिनाइयाँ हैं व्यक्तिगत
जीवन में, समाज में तथा समुदायों में - सब जगह कठिनाइयाँ हैं। पर ईश्वर हमें कभी भी इनसे
हारने नहीं देते हैं।मैं एक पिता या अभिभावक होने के नाते सुसमाचार प्रचार या अपने विश्वास
को रोज दिन जीने के निराशाजनक पलों से परिचित हूँ। इसलिये मैं आपको जोर दे कर बतलाना
चाहता हूँ आप इस बात को जानें कि ईश्वर आपके साथ हैं, वह हमें कदापि नहीं छोड़ते हैं।
हम आशा कभी न छोड़ें। हम आशा को कभी भी मरने न दें। ड्रैगोन या बुराई पूरे हमारे इतिहास
से जुड़ी हुई है फिर भी यह कभी भी सफल नहीं हुई है।सदा ईश्वर ही विजयी होते हैं और ईश्वर
ही हमारी आशा है। यह भी सत्य है कि आजकल सब कोई हमारे युवा भी कुछ ऐसी बातों की ओर आकर्षित
हो जाते हैं और उन्हें ईश्वर के स्थान में देखने लगते हैं। उन्हें लगता है कि रुपये-पैस,
सफलतायें, शक्ति, और मौज़-मस्ती उन्हें आशा दे सकते हैं। दिल में कई प्रकार की असंतुष्टियों
और खालीपन के कारण उन्हें लगता है कि इन क्षणभंगुर उन्हें संतुष्टि मिलेगी।
आज
मैं आप लोगों से कहना चाहता हूँ कि आइये हम आशा के दीप जलायें। आइये हम सकारात्मक बिचार
रखें। आइये हम युवाओं की उदारता को प्रोत्साहन दे और उन्हें मदद दें ताकि वे एक बेहत्तर
दुनिया के लिये कार्य कर सकें। युवा कलीसिया और दुनिया की शक्ति हैं। उन्हें सिर्फ़ दुनियावी
वस्तुयें नहीं चाहिये उन्हें उन गुणों की ज़रूरत है जो उनके ह्रदय के लिये आवश्यक है।यह
तीर्थस्थल जो बार्जील की एक दिव्य यादगारी का चिह्न है हम उन गुणों को स्पष्ट रूप से
देख सकते हैं। वे गुण हैं आध्यात्मिकता, उदारता, सहयोग, धैर्य, भ्रातृत्व और आनन्द। ये
सब गुण ख्रीस्तीय विश्वास के आधार हैं।
ईश्वर के आश्चर्यचकित कार्यों के प्रति
खुलापन दूसरा गुण या मनोभाव जिसकी ओर मैं आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ वह है – ईश्वर
के आश्चर्यचकित कार्यों के प्रति खुलापन। जो व्यक्ति नर हो या नारी जिसमें विश्वास हो
वह यह जानता है कि विभिन्न विपरीत परिस्थितियों में भी ईश्वर कार्यरत है और वह हमें चकित
कर दते हैं। यह तीर्थस्थल इसका सुन्दर नमुना है। तीन मछुवारे रकनाइहा नदी में कई दिनों
तक कोई मछली नहीं पकड़ने पाने के कारण निराश थे पर बाद में जल से उन्हें आश्चर्यजनक वरदान
प्राप्त हुए। यह नदी कुँवारी माता मरिया के निष्कलंक गर्भागमन का प्रतीक है। किसी ने
ऐसा नहीं सोचा था कि निरर्थक मछली मारने का अभियान स्थल एक दिन ऐसा महत्वपूर्ण तीर्थस्थल
बन जायेगा। ईश्वर सदा चमत्कार करता है वह हमारे लिये सदा ही नया दाखरस प्रदान करता है।
वह हमारे लिये सर्वोत्तम चीज़ें बचा कर रखता है। आइये हमें ईश्वर पर आस्था रखें। उनसे
दूर होने से जो आनन्द की अँगुरी हैं आशा का दाखरस कम हो जाता है। अगर हम उनके नज़दीक
रहते उनके पास रहते तो जो एक ठंठा जल, पाप और विपत्ति के समान नज़र आता है वह बदल कर
मित्रता का नया दाखरस बन जाता है।
आनन्दमय जीवन अब आइये हमें तीसर मनोभाव या
गुण पर चिन्तन करें। यह है आनन्दमय जीवन। मित्रो, अगर हम आशा के पथ पर चलते हैं और
अपने जीवन को येसु के हाथों में छोड़ देते हैं तो हमारा ह्रदय आनन्द से भर जाता है और
हम इस आनन्द का साक्ष्य देने से कदापि नहीं चुकेंगे। ख्रीस्तीय कदापि दुःखी नहीं हो सकता
है। ईश्वर हमारे साथ हैं । हमारी एक माँ है जो सदा हमारे लिये प्रार्थना करती रहती हैं
जैसा कि रानी एस्थेर के बारे में पहले पाठ में पाते हैं। येसु ने हमें ईश्वर का प्यारा
चेहरा दिखलाया है। पापा और मृत्यु पर ईश्वर नें मुक्ति प्र्पाप्त कर ली है। ख्रीस्तीय
निराशावादी हो ही नहीं सकते। अगर हम येसु के प्रेम से बँधे हुए हैं और हमें यह आभास है
कि उन्होंने हमें कितना प्यार किया है तब हमारा ह्रदय प्रकाशित हो उठेगा और उसकी खुशी
चारों ओर बिखरेगी। जैसा कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा था शिष्य जानता है कि
ख्रीस्त के बिना ज्योति नहीं है, आशा नहीं हैं, प्रेम नहीं हैं न ही उज्ज्वल भविष्य।
मित्रो, आज हम यहाँ आये हैं ताकि मरियम के घर के दरवाज़ें को खटखटायें। माता
मरिया ने हमारे लिये दरवाज़ा भी खोल दिया है औऱ अपने पुत्र येसु को हमें दिखाया है। अब
वह हमसें कह रहीं हैं कि हम वही करे जो वह हमसे करने को कहें। और आज हम कह रहे हैं कि
हम वही करेंगे जो प्रभु येसु हमसे कहेंगे। और ऐसा हम पूरी आशा के साथ, ईश्वर के आश्चर्यजनक
कार्यों पर विश्वास करते हुए तथा पूरी खुशी के साथ पूरा करेंगे।