अन्ताखिया की मार्ग्रेट के बारे में बहुत कम
जानकारी प्राप्त है। किंवदन्ती है कि वे एशिया माईनर के अन्ताखिया स्थित पिसिदिया के
ग़ैरख्रीस्तीय याजक की सुपुत्री थीं जिन्हें मरीना के नाम से भी जाना जाता है। आरम्भिक
ख्रीस्तीयों की भक्ति एवं श्रद्धा से प्रभावित होकर मरीना ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन
कर लिया था जिसके कारण पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया था। मरीना की सुन्दरता ने रोमी
प्रशासक ओलिब्रियुस का ध्यान आकर्षित किया जिसने विवाह का प्रस्ताव रखा। मरीना ने ख्रीस्तीय
धर्म के परित्याग से इनकार कर दिया जिसके लिये ओलिब्रियुस ने उनपर देशद्रोह का आरोप मढ़ा
और उन्हें यातनाएँ देकर बन्दीगृह में डाल दिया। बताया जाता है कि जब मरीना कारावास में
थीं तब पंखदार सर्प के रूप में शैतान उनके समक्ष आ खड़ा हुआ। किंवदन्ती है कि पंखदार
सर्प ने मरीना को निगल लिया था किन्तु मरीना के हाथ में रखे क्रूस ने पंखदार सर्प को
इतना सताया कि उसने मरीना को अपने पेट से बाहर कर दिया। इसीलिये मरीना या अन्ताखिया की
सन्त मार्ग्रेट को गर्भवती माताओं एवं प्रसव पीड़ा सहनेवाली महिलाओं की संरक्षिका घोषित
किया गया है।
पंखदार सर्प की घटना के दूसरे दिन बन्दीगृह में मरीना को आग के
हवाले कर मार डालने की योजना थी जब अग्नि उनका कुछ नहीं कर पाई तब उन्हें पानी में डुबाकर
मार डालने की कोशिश की गई जो नाकाम रही। चमत्कारी ढंग से मरीना की सुरक्षा हुई तथा इन
घटनाओं के गवाहों ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया। इससे नाराज़ होकर प्रशासक ओलिब्रियुस
ने उनका वध करवा दिया। कहा जाता है कि अरका की सन्त जोन को जब आग में भस्म किया गया था
तब उन्होंने मार्ग्रेट की आवाज़ सुनी थी। अन्ताखिया की मार्ग्रेट का पर्व 20 जुलाई को
मनाया जाता है।
चिन्तनः सतत् प्रार्थना द्वारा प्रभु ख्रीस्त में अपने विश्वास
को हम सुदृढ़ करें।