2013-07-15 15:07:38

ईश्वर हमारी दुर्गति को जानते एवं समझते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 15 जुलाई 2013 (सेदोक): रोम स्थित कस्तेल गंदोल्फो के प्राँगण में, रविवार 14 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व भक्त समुदाय को संबोधित कर कहा,
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
अभी हम रविवारीय देवदूत प्रार्थना के लिए कास्तेल गंदोल्फों में एकत्र हुए हैं। मैं इस सुन्दर शहर में रहने वालों का अभिवादन करता हूँ। सर्वप्रथम मैं, आपकी प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद देता हूँ एवं उपस्थित सभी तीर्थयात्रियों को भी अभिवादन करता हूँ।
"आज का सुसमाचार पाठ लूकस रचित सुसमाचार से लिया गया है जो भले समारी के प्रसिद्ध दृष्टांत को प्रस्तुत करता है। वह व्यक्ति कौन था? वह व्यक्ति यहुदिया के मरुस्थली रास्ते से होकर येरुसालेम से जेरीखो जा रहा था। कुछ समय पहले, उस रास्ते पर एक व्यक्ति डाकूओं एवं चोरों द्वारा लूटा तथा पीटा जा कर, अधमरा पडा था। यद्यपि समारी से पहले एक पुरोहित तथा एक लेवी वहाँ से गुजरे, जो ईश मंदिर में बलिदान चढ़ाने हेतु जा रहे थे। उन्होंने उस बेचारे आदमी को देखा पर बिना रुके आगे बढ़ गये। जबकि समारी ने जब उस आदमी को देखा, जैसा कि सुसमाचार बतलाता है "तब वह दया से द्रवित हो गया।" (लूक.10:33) वह उसके पास गया घाव पर तेल एवं अंगुरी डालकर मरहम पट्टी की तथा उसे उठाकर सराय ले गया तथा उसकी देखभाल करने को कहा।" संत पापा ने कहा यही पड़ोसी प्रेम का उदाहरण है। लेकिन क्यों येसु ने दृष्टांत में एक समारी व्यक्ति को मुख्य पात्र चुना? संत पापा ने खुद प्रश्न का जवाब देते हुए कहा, "क्योंकि समारियों की अलग धार्मिक पराम्परा के कारण यहूदी उन्हें घृणित समझते थे। बावजूद इसके येसु दिखाते हैं कि समारी उन पुरोहितों एवं लेवियों के समान नहीं था। वह दिल से भला एवं दयालु था तथा सच्चे हृदय से ईश्वर की आज्ञा का पालन करता था। ईश्वर जो बलिदान नहीं दया चाहते क्योंकि वे दयालु हैं तथा हमारी दुर्गति, कठिनाई एवं पापों को जानते एवं अच्छी तरह समझते हैं, उन्होंने हमें भी दयालु हृदय प्रदान किया है। समारी व्यक्ति ने जरूरतमंद व्यक्ति के लिए येसु के उसी दयालुता का अनुसरण किया।
लेल्लीस के संत कमील्लुस सुसमाचार में निहित भले समारी के समान जीने वाले धर्मी व्यक्ति हैं जिनका पर्व हम आज मना रहे हैं। वे ‘बीमारों के सेवक’ समाज के संस्थापक, एवं बीमारों तथा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के संरक्षक संत माने जाते हैं। संत कमील्लो की मृत्यु 14 जुलाई सन् 1614 ई को हुई थी अंतः आज उनकी मृत्यु की चार सौ वर्षीय जुबिली की शुरुआत हो रही है। मैं संत कमील्लुस के सभी आध्यात्मिक पुत्र-पुत्रियों का सस्नेह अभिवादन करता हूँ। जो संत कमील्लुस की उदारता के विशिष्ट सद्गुण को अपनाते हुए प्रतिदिन बीमारों की सेवा करते हैं। आप बीमारों, डॉक्टरों, नर्स एवं अस्पतालों और चिकित्सालयों में कार्यरत सभी लोगों के साथ भले समारी की तरह पेश आयें तथा उसी आशा के मनोभाव को सबों में बाँटे। हम इस प्रार्थना को अति निष्कलंक माता मरिया के चरणों में अर्पित करें।
संत पापा ने कहा, "एक दूसरी प्रार्थना को आप सभी के साथ मिलकर माता मरिया को समर्पित करता हूँ। अभी जब रियो दी जनेइरो में विश्व युवा दिवस सम्पन्न होने वाला है। जिसमें बहुत से युवा भाई-बहनें भाग लेंगे। आज यहाँ भी बहुत से युवा एकत्र हैं किन्तु हृदय से सभी युवा हैं। मैं इस सप्ताह ब्राजील जाऊँगा किन्तु मुझसे पहले कई युवा ब्रजील के लिए निकल चुके हैं। आइये, हम इस विशाल तीर्थयात्रा के लिए ब्राजील की संरक्षिका अपारेचिदा की माता मरिया से विनती करें कि वह सभी प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करे ताकि वे उस मिशन को ग्रहण करें जिसे येसु प्रदान करेंगे।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया एवं सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया।
देवदूत प्रार्थना के पश्चात उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "मैं उक्रैन की कलीसिया के साथ लुत्स महागिरजा में धर्माध्यक्षों एवं ख्रीस्त विश्वासियों की प्रार्थना में शामिल होता हूँ जो वोलहेनिया की हत्या के 70वीं वर्षगाँठ पर पवित्र मिस्सा के लिए एकत्र हैं। वोलहेनिया के कार्य ने द्वितीय विश्व युद्ध की दुखद पृठभूमि के लिए राष्ट्रवादी विचारधारा को भड़काया।
जिसके कारण हजारों लोग हताहत हुए तथा पुलिस एवं उक्रैनियों के बीच भाईचारा को आघात पहुँचा।
मैं उन्हें तथा मृत्यु के शिकार लोगों को दयावान ईश्वर के हाथों सुपुर्द करता हूँ जिससे कि आपस में गहन समझौता एवं भविष्य में शांतिपूर्ण आशा एवं ईश्वर के राज्य के लिए उदार आम आध्यात्मिक सहयोग प्राप्त हो।
मैं अलबानों धर्मप्रांत के विश्वासियों का सस्नेह अभिवादन करता हूँ तथा वहाँ की कलीसिया के संरक्षक संत बोनाबेनतुरा के संरक्षण में उन्हें समर्पित करता हूँ।
तत्पश्चात संत पापा ने सभी पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए शुभ रविवार की मंगल कामना अर्पित की।








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