संत पापा फ्राँसिस का पहला विश्व पत्र ‘लूमेन फीदेई’
मित्रो, हम आपको बतला दें कि ‘लूमेन फीदेई’ अर्थात् ‘द लाइट ऑफ़ फेथ’ (विश्वास की ज्योति)
का प्रकाशन संत पापा ने विधिवत पिछले शुक्रवार 5 जुलाई को किया। ‘लूमेन फीदेई’ दस्तावेज़
की रचना दो संत पापाओं द्वारा हुई। ससम्मान सेवानिवृत्त संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने
इसे लिखना आरंभ की और संत पापा फ्रांसिस ने इसे पूर्ण किया।
संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें की योजना थी कि वे प्रेम, आशा और विश्वास पर दस्तावेज़ लिखें। प्रथम दो पर विषयों
पर उन्होंने किताबें लिख डाली और उसका प्रकाशन भी किया जा चुका है। विश्वास विषय पर भी
उन्होंने विश्व पत्र की रचना आरंभ की थी पर स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हो गये तब पर संत
पापा फ्राँसिस ने इसे अंतिम रूप प्रदान किया।
यह विश्व पत्र अपने आप में अद्वितीय
है क्योंकि इसके प्रकाशन में दो संत पापाओं संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें और संत पापा फ्राँसिस
का योगदान है।
82 पृष्ठोंवाले "लूमेन फीदेई" नामक इस विश्व पत्र के प्रथम तीन
अध्याय सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा लिखे गये हैं जिसमें लोगों का ध्यान इसे ओर
कराया गया है कि मानवीय संकट का कारण है - ईश्वर का बहिष्कार तथा मानव का हठधर्म है।
सन्त
पापा फ्राँसिस की प्राथमिकताओं को विश्व पत्र "लूमेन फीदेई" के अन्तिम अध्याय में देखा
जा सकता है जिसमें उन्होंने अर्जेन्टीना के येसु धर्मसमाजी जनकल्याण एवं मानव उत्थान
के अनुभव के आधार पर विश्वास की भूमिका पर बल दिया है। आज हम आपके लिये ‘लूमेन फीदेई’
विश्व पत्र का पहला भाग प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें हम चर्चा करेंगे
कलीसिया
की परंपरा में विश्वास की ज्योति के बारे में बतलाते हुए कहा जाता है कि येसु ने कलीसिया
के लिये विश्वास का एक महान् वरदान लाया। संत योहन रचित सुसमाचार में येसु अपने बारे
में कहते हैं कि मैं ज्योति बन कर इस दुनिया में आया हूँ ताकि जो मुझमें विश्वास करे
वह अंधकार में न भटके पर अनंत जीवन प्राप्त करे। संत पौलुस ने ज्योति के इसी प्रतीक का
उपयोग करते हुए कहा कि ईश्वर ने कहा ज्योति अंधकार में चमक उठे वही ज्योति हमारे ह्रदय
में चमकी है। ज्योति के लिये तरसने वाली दुनिया ने सूर्यदेव ‘सोल इनविक्तुस’ के पंथ का
विकास देखा है। सूर्य प्रत्येक दिन उगता है पर उसमें ऐसा सामर्थ्य नहीं है कि वह
मानव जीवन को प्रकाशित कर सके। सूर्य सब तथ्यों पर प्रकाश नहीं डाल सकता। यह उस प्रकाश
को मृत्यु की छाया को जहाँ लोगों की आँखें बंद हो जाती, भेद नहीं सकता है। शहीद संत जस्टिन
कहा करते थे कि सूर्य में अपने विश्वास के ले कोई भी मरने को तैयार नहीं हुआ है। अपने
विश्वास के प्रति पूर्ण रूप से सचेत और खुले रह कर ईसाईयों ने येसु को अपना सच्चा सूर्य
माना जिसकी किरणें जीवन प्रदान करतीं हैं। मार्था जब अपने भाई लाजूरस की मृत्यु पर विलाप
कर रही थी तब येसु ने कहा था कि मैं तुमसे कहे देता हूँ यदि तुम विश्वास करते हो तुम
ईश्वर की महिमा देखोगी। जो विश्वास करते हैं वे ज्योति को पाते हैं और यह ज्योति
उनके पूरे जीवन को आलोकित कर देती है क्योंकि यह पुनर्जीवित येसु से आती है। येसु प्रभात
के ऐसे तारे हैं जिनका अस्त कभी नहीं होता है। मित्रो आजके बुधवारीय आमदर्शन कार्यक्रम
के बदले हमने संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र ‘लूमेन फीदेई’ को प्रस्तुत किया आपने सुना
येसु ख्रीस्तीयों की ज्योति के बारे में जानकारी दी। अगले सप्ताह हम मिथ्या या असत्य
प्रकाश की चर्चा करेंगे।