मरिया गोरेत्ती का जन्म इटली के आँकोना शहर
के कोरीनालदो में, 16 अक्टूबर, सन् 1890 ई. को हुआ था। उनके माता पिता कृषि कर अपनी जीविका
कमाते थे और इसी सिलसिले में वे आँकोना से रोम शहर के परिसर में आन्स्यो के निकटवर्ती
फेर्रियेर दी कोन्चा में आकर बस गये थे। मलेरिया रोग में पिता की मृत्यु हो गई थी इसलिये
अपनी सन्तानों की परवरिश के लिये मरिया गोरेत्ती का माता को अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा
था।
सन् 1902 में एक 18 वर्षीय युवक एलेक्ज़ेनडर ने मरिया गोरेत्ती के शील हरण
की कोशिश की थी। मरिया ने कह दिया था कि अपनी शुद्धता को बनाये रखने के लिये वे मर जायेंगी
किन्तु समर्पण नहीं करेंगी। इस पर क्रुद्ध एलेक्ज़ेनडर ने उनपर चाकुओं से वार करना आरम्भ
कर दिया था। लहूलुहान मरिया को अस्पताल पहुँचाया गया जहाँ, 06 जुलाई सन् 1902 ई. को,
उन्होंने दम तोड़ दिया। मृत्यु से पहले उन्होंने एलेक्ज़ेनडर को क्षमा कर दिया था।
एलेक्ज़ेनडर
को गिरफ्तार कर लिया गया तथा तीस वर्षीय कारावास की सज़ा दे दी गई। बहुत समय तक वह अपने
अपराध के लिये पछताया नहीं किन्तु एक रात सपने में उन्हें मरिया गोरेत्ती दिखाई दी जिन्होंने
उसे फूल अर्पित किये। उस रात के बाद से एलेक्ज़ेनडर का मनपरिवर्तन हुआ। वह अपने किये
पर पछताया तथा सुधारों का जीवन यापन करने लगा। 27 वर्ष बाद उसे कारावास रिहा कर दिया
गया। जेल से छूटते ही एलेक्ज़ेनडर मरिया की माता के पास गया तथा, उसने, उनसे क्षमा मांगी।
माता ने यह कहकर क्षमा कर दिया कि "यदि मेरी बेटी तुम्हें क्षमा कर सकती तो मैं कैसे
तुम्हें क्षमा न करूँ।"
युवाओं के लिये शुद्धता और निर्मलता के आदर्श रूप में
सन्त पापा पियुस 12 वें ने, सन् 1950 ई. में, मरिया गोरेत्ती को सन्त घोषित किया था।
उस अवसर पर सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एलेक्ज़ेनडर भी मौजूद था। मरिया गोरेत्ती
को शहीद घोषित किया गया है क्योंकि उन्होंने एलेक्ज़ेनडर के बलात्कार प्रयास के विरुद्ध
संघर्ष करते हुए अपनी जान दे दी थी। मरिया गोरेत्ती का पर्व, 06 जुलाई को, मनाया जाता
है। मरिया गोरेत्ती युवाओं एवं बलात्कार की शिकार हुए लोगों की संरक्षिका हैं।
चिन्तनः
मरिया गोरेत्ती के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर युवा लोग शुद्ध और सदगुण सम्पन्न जीवन
यापन के लिये प्रेरित होवें।