2013-07-03 13:38:36

येसु के घावों के चुम्बन से जीवित ईश्वर के दर्शन संभव


वाटिकन सिटी, बुधवार 3जुलाई, 2013 (सेदोक, वीआर) वाटिकन सिटी के संत मार्था निवास के प्रार्थनालय में सम्पन्न दैनिक यूखरिस्तीय समारोह संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित विश्वासियों को प्रवचन देते हुए कहा

यदि हम चाहते हैं कि हम जीवित ईश्वर के दर्शन करें तो हमें चाहिये कि हम येसु के उन घावों का चुम्बन करें जो हम गरीबों, बीमारों, भूखों और बंदियों में देखते हैं। संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने प्रेरित संत थोमस के पर्वोत्सव पर संत मार्था निवास के प्रार्थनालय में मिस्सा पूजा अर्पित किया

संत पापा ने कहा अपने पुनरुत्थान के बाद येसु ने प्रेरितों को दर्शन दिये पर उस समय थोमस वहाँ नहीं थे। येसु चाहते थे कि संत थोमस एक सप्ताह तक इंतज़ार करे। प्रभु येसु को मालूम था कि व्यक्ति को समय चाहिये। उन्होंने थोमस को एक सप्ताह के समय दिया और उसके बाद उन्होंने उसे अपना घाव दिखलाया और अपने को प्रकट किया। पुनर्जीवित येसु का सारा शरीर साफ़, सुन्दर और दिव्यमान हो चुका था पर उनके अंदर के घाव ताजा थे, आज में वैसे ही हैं और जब वे अंतिम में महिमा के साथ आयेंगे तब हम उसने घावो के चिह्न देख पायेंगे।

संत पापा ने कहा कि प्रेरित संत थोमस हठी थे पर येसु ऐसा ही चाहते थे ताकि उनके हठीपन से हम जीवन की रहस्यों को समझ सकें। एक सप्ताह के बाद येसु ने संत थोमस को आमंत्रित किया ताकि वे अपनी उँगली उनकी छाती पर हुए घाव के निशान पर रखे। ऐसा करने के बाद तब थोमस ने सबसे पहले इस बात की घोषणा की कि पुनर्जीवित येसु ईश्वर हैं। उन्होंने पुनरुत्थान के बाद येसु के दिव्य रूप की खुलकर घोषणा की और उन्हें दंडवत किया।

संत पापा ने कहा कि यह येसु की दिव्य योजना थी कि संत थोमस इंतज़ार करे और तब पुनरुत्थान की घोषणा करे। येसु से मिलने का रास्ता है उसके दुःखों को समझना।

कलीसिया के इतिहास में कई बार लोगों ने इस बात पर बल दिया कि जीवित ईश्वर को पाने के लिये चिन्तन का रास्ता अपनाना सर्वोत्तम है और उन्होंने चिन्तन पर चिन्तन किया पर यह संकटपूर्ण रास्ता है। इस रास्ता में चलने वाले कई भटक गये। शायद उन्हें ईश्वर का ज्ञान प्राप्त हुआ हो पर येसु मसीह नहीं, जो कि पवित्र तृत्व के दूसरे जन हैं। यह मार्ग अच्छा है पर इससे हम सही पड़ाव पर नहीं पहुँच सकते हैं।

कई लोगों ने त्याग तपस्या, उपवास और प्रायश्चित का रास्ता चुना पर उन्हें भी जीवित ईश्वर प्रभु येसु ख्रीस्त प्राप्त नहीं हुए। कई लोगों ने सोचा कि वे अपनी शक्ति से येसु को प्राप्त करेंगे पर येसु ने स्पष्ट कह दिया है कि उन्हें हम उनके घावों में ही प्राप्त कर पायेंगे। आखिर येसु के घाव क्या हैं ? येसु के घाव हैं - ऐसे लोग जो भूखे हैं, प्यासे हैं, जो नंगे हैं और उपहास के पात्र बनते हैं। येसु के घाव ऐसे लोग हैं जो इसलिये तिरस्कृत किये जाते हैं क्योंकि वे अस्पतलों में हैं, बन्दीगृह में हैं और किसी के दास बन गये हैं।

आज येसु का आमंत्रण है कि हम अपने विश्वास के कारण उनकी मदद करने के लिये आगे आयें। हम उनकी मदद के लिये संगठित हों और ज़रूरतमंदों की मदद और भलाई करें।

हालाँकि यह कार्य अति महत्वपूर्ण तथापि अगर व्यक्ति मात्र इसी स्तर पर रहकर अपना जीवन बिताता रहे तो वह सिर्फ़ भलाईकर्ता बन कर रह जायेगा। एक ख्रीस्तीय रूप में ज़रूरत है कि हम येसु के घावों के करीब आयें, उनका चुम्बन करें। संत फ्राँसिस ने ऐसा ही कि उन्होंने बड़े ही स्नेह से उस कोढ़ी का आलिंगन किया, संत थोमस ने भी ऐसा ही किया और इसीलिये उका जीवन बदल गया।

संत पापा ने कहा कि जीवित ईश्वर को पाने के लिये कोई बड़े सेमिनार में भाग लेने की ज़रूरत नहीं है। पर हाँ इसके लिये ज़रूरत है घर से बाहर निकलने की, संत थोमस के समान येसु के घावों को सस्नेह छूने की और ऐसा करने से निश्चिय ही हमें जीवित ईश्वर के दर्शन प्राप्त हो जायेंगे।










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