वाटिकन सिटीः प्रार्थना ईश्वर के साथ सम्वाद है, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 02 जुलाई सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि हमें साहस
और अध्यवसायता के साथ सतत् प्रार्थना करनी चाहिये इसलिये कि प्रार्थना ईश्वर के साथ सम्वाद
है। सोमवार को वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर
पर सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना के महत्व पर प्रकाश डाला। सन्त पापा ने कहा कि
प्रार्थना करना अथवा ईश्वर के साथ सम्वाद तब ही सम्भव हो सकता है जब व्यक्ति ईश्वर से
परिचित हो। प्राचीन व्यवस्थान के उत्पत्ति ग्रन्थ में निहित अब्राहम के पाठ पर चिन्तन
करते हुए सन्त पापा ने कहा, "अब्राहम, निर्भीक हैं तथा साहसपूर्वक ईश्वर से प्रार्थना
करते हैं, ईश्वर से बातचीत हेतु वे अपने अन्तरमन में शक्ति का अनुभव करते हैं तथा अपने
नगर की सुरक्षा हेतु उनसे याचना करते हैं।" सन्त पापा ने कहा कि यदि हम चाहते हैं
कि हमारी प्रार्थना सुनी जाये तो हमें अब्राहम के सदृश ही अध्यवसायता एवं दृढ़ निश्चय
के साथ सतत् प्रार्थना करनी चाहिये। उन्होंने कहा, "प्रभु की कृपा एवं अनुकम्पा पाने
के लिये भक्त के हृदय में किसी प्रकार की झिझक या शर्म नहीं होनी चाहिये बल्कि एक विनीत
प्रार्थी रूप में अनवरत अपनी ज़रूरतों को प्रभु के समक्ष प्रकट करना चाहिये। उन्होंने
कहा, "प्रभु ईश्वर दयालु हैं, वे क्षमावान हैं वे सभी की प्रार्थना सुनते हैं जैसा कि
प्रभु येसु कहते हैं: "पिता न्यायी एवं पापी दोनों को वर्षा एवं सूर्य के प्रकाश से अनुगृहीत
करते हैं।" सन्त पापा ने विश्वासियों से आग्रह किया कि प्रार्थना करने के लिये वे
स्तोत्र ग्रन्थ के भजन 102 का पाठ करें जिसमें भजनकार कहता हैः "प्रभु! मेरी प्रार्थना
सुन; मेरी दुहाई तेरे पास पहुँचे। संकट के समय मुझ से अपना मुख न छिपा। मेरी पुकार पर
ध्यान दे, मुझे शीघ्र उत्तर दे।"