मिगेल होसे सेर्रा का जन्म, स्पोन के मायोर्का
द्वीप पर 24 नवम्बर, सन् 1713 ई. को हुआ था। सन् 1730 ई. में, जब वे फ्राँसिसकन धर्मसमाज
में भर्ती हुए तब, उन्होंने यूनीपेरो नाम धारण कर लिया था। सन् 1737 ई. में उनका पुरोहिताभिषेक
हुआ जिसके बाद सन् 1749 ई. तक वे इटली के पादोवा शहर में दशर्नशास्त्र एवं ईशशास्त्र
के प्राध्यपक रहे।
37 वर्ष की आयु में, पहली जनवरी, सन् 1750 ई. को फादर मिगेल
होसे सेर्रा मेक्सिको सिटी पहुँचे तथा आजीवन नवीन विश्व के लोगों में सुसमाचार प्रचार
करते रहे। ग़लतफहमियों के चलते, सन् 1768 ई. में, उन्हें मेक्सिको सिटी से निष्कासित
कर दिया गया था जिसके उपरान्त वे मेक्सिको के निचले केलिफोरनिया तथा अवर केलिफोर्निया
प्रान्त चले गये (वर्तमान केलिफोर्निया)। अथक परिश्रमी, मिगेल होसे के धर्मप्रचार कार्यों
के परिणाणस्वरूप ही अमरीका के पश्चिमी तट के लोग प्रभु येसु ख्रीस्त के सुसमाचार के प्रकाश
से आलोकित हो पाये थे। उन्होंने 21 मिशन केन्द्रों की स्थापना की तथा हज़ारों अमरीकी
इन्डियन्स अथवा लाल इन्डियन्स नाम से पहचाने जाने वाले अमरीका के मूल निवासियों का मनपरिवर्तन
किया। उन्होंने मूलनिवासियों को शिक्षा प्रदान की, कृषि एवं गऊ-पालन के तौर तरीके सिखाये
और साथ ही हस्तकलाओं में भी उन्हें प्रशिक्षण दिया।
मिगेल होसे सेर्रा यूनीपेरो
एक समर्पित धर्मसमाजी तथा कर्मठ मिशनरी थे। त्याग-तपस्या से भरा उनका दैनिक जीवन भी लोगों
के लिये प्रेरणा का स्रोत बना। 28 अगस्त, सन् 1784 ई. को, 71 वर्ष की आयु में, उनका निधन
हो गया। 25 सितम्बर, सन् 1988 ई. को सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने मिगेल होसे सेर्रा
को धन्य घोषित कर कलीसिया में वेदी का सम्मान प्रदान किया था। केलिफोरनिया राज्य का प्रतिनिधित्व
करनेवाली, धन्य मिगेल होसे सेर्रा की प्रतिमा इस समय अमरीका के राष्ट्रीय मूर्तिसंग्रहालय
में प्रतिस्थापित है। धन्य मिगेल होसे सेर्रा का पर्व 01 जुलाई को मनाया जाता है।
चिन्तनः "धर्मी सदा के लिए जीवित रहेंगे। उनका पुरस्कार प्रभु के हाथ में है
और सर्वोच्च ईश्वर उनकी देखरेख करता है। वे प्रभु के हाथ से महिमामय राजत्व और भव्य मुकुट
ग्रहण करेंगे; क्योंकि वह अपने दाहिने हाथ से और अपने भुजबल से उनकी रक्षा करेगा" (प्रज्ञा
ग्रन्थ 5: 15-16)।