वाटिकन सिटीः 34 महाधर्माध्यक्षों को "पाल्लियुम", सन्त पापा ने कहा उनका मिशन काथलिकों
को विश्वास, प्रेम एवं एकता में सुदृढ़ करना
वाटिकन सिटी, 29 जून सन् 2013 (सेदोक): वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में, शनिवार,
29 जून को, सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व के 34 महाधर्माध्यक्षों को अम्बरिकाएँ प्रदान
कर कलीसिया के परमाध्यक्ष के मिशन का मर्म समझाया। सन्त पापा ने कहा कि सार्वभौमिक
काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष तथा रोम के धर्माध्यक्ष का मिशन ख्रीस्त के अनुयायियों
को विश्वास, प्रेम एवं एकता में सुदृढ़ करना है। उन्होंने कहा कि पेत्रुस ख्रीस्त में
अपने विश्वास की अभिव्यक्ति करते हैं जिसके प्रत्युत्तर में प्रभु ख्रीस्त पेत्रुस से
कहते हैं कि पेत्रुस वह चट्टान है जिसपर वे अपनी कलीसिया का निर्माण करेंगे। सन्त
पापा ने कहा कि चूँकि पेत्रुस पर कलीसिया का निर्माण हुआ है इसलिये पेत्रुस के उत्तराधिकारी
की भूमिका ख्रीस्त के अनुयायियों को उनके विश्वास में सुदृढ़ करना है। सन्त पापा ने कहा
कि कलीसिया के मेषपाल, प्रेरितिक सेवक एवं सदस्य होने के नाते ख्रीस्त में विश्वास ही
कलीसिया हमारे जीवन का प्रकाश है। इसी प्रकार कलीसिया के परमाध्यक्ष का दायित्व ख्रीस्त
के अनुयायियों को प्रेम एवं एकता के सूत्र में बाँधना है ताकि वे विश्व में न्याय एवं
शांति के सन्देशवाहक बन सकें। शुक्रवार को ख्रीस्तयाग से पूर्व सन्त पापा ने विश्व
34 महाधर्माध्यक्षों को अम्बरिकाएँ प्रदान कीं इनमें भारत से तीन महाधर्माध्यक्ष भी शामिल
थे। ये हैं: आन्ध्रप्रदेश से विशाखापट्टनम के महाधर्माध्यक्ष प्रकाश मालावारापु, तमिल
नाड से मद्रास-मैलापुर के महाधर्माध्यक्ष जॉर्ज एन्तोनीस्वामी तथा देहली के महाधर्माध्यक्ष
अनील कूटो। "अम्बरिका" ऊन से बुनी हुई श्वेत पट्टी है जिसे महाधर्माध्यक्ष अपने कन्धों
पर वहन करते हैं। यह विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया एवं उसके परमाध्यक्ष यानि सन्त पापा
के साथ पूर्ण सहभागिता, एकता एवं निष्ठा का प्रतीक है जिसे, प्रतिवर्ष 29 जून को सन्त
पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व के दिन, सन्त पापा, वर्ष के दौरान नियुक्त महाधर्माध्यक्षों
को प्रदान करते हैं। ख्रीस्तयाग प्रवचन में पाल्लियुम का अर्थ समझाते हुए सन्त पापा
ने कहा, "पाल्लियुम सन्त पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ पूर्ण सहभागिता का प्रतीक है,
"विश्वास एवं सहभागिता की एकता के चिरस्थायी एवं दृश्यमान स्रोत एवं आधार" (लूमेन जेनसियुम,
18)।" सन्त पापा ने कहा कि आज सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में "महाधर्माध्यक्षों की उपस्थिति
इस बात का संकेत है कि कलीसियाई सहभागिता का अर्थ एकरूपता नहीं है। कलीसिया की याजकवर्गीय
संरचना के बारे में द्वितीय वाटिकन महासभा कहती है कि प्रभु ने "प्रेरितों को स्थायी
सभा रूप में स्थापित किया तथा उस संख्या से पेत्रुस को सभा का शीर्ष चुना" (लूमेन जेनसियुम,
19)। येसु द्वारा स्थापित यह सभा अनेकानेक सदस्यों से बनी है जो ईश प्रजा की विविधता
एवं सार्वभौमिकता को अभिव्यक्त करती है।" सन्त पापा ने कहा, "कलीसिया में विविधता,
एक महान और अनमोल कोष है जिसकी नींव सामंजस्य एवं एकता पर चिकी है।" उन्होंने कहा, "कलीसिया
की विविधता एक विशाल मोजक के सदृश है जिसमें हर छोटे से छोटा टुकड़ा ईश्वर की महान योजना
का अंग होने के कारण दूसरे टुकड़े से जा मिलता है। यह हमारे लिये प्रेरणा का स्रोत बने
ताकि हम, कलीसिया के शरीर पर घाव करनेवाले सभी मतभेदों को पराजित कर, एक साथ मिलकर कार्य
करने हेतु तत्पर रहें।"