माराकेशः नेत्रहीन लोगों तक किताबों की पहुँच के लिये वाटिकन ने कॉपीराइट में परिवर्तन
का किया आह्वान
माराकोश, 21 जून सन् 2013 (सेदोक): जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय एजेन्सियों के
लिये वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत तथा स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थॉमासी
ने नेत्रहीन लोगों तक किताबों की पहुँच के लिये कॉपीराइट में परिवर्तन का आह्वान किया
है। मोरॉक्को के माराकेश शहर में 18 जून को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के राजनयिक
सम्मेलन में भाग ले रहे राष्ट्र प्रतिनिधियों के समक्ष महाधर्माध्यक्ष थॉमासी ने नेत्रहीन
लोगों के पक्ष में अपनी बात रखी। इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कि विद्यमान
कॉपी राइट कानून पुस्तकों को ब्रेल आदि प्रणालियों में प्रस्तुत करने में बाधा डाल रहे
हैं महाधर्माध्यक्ष थॉमासी ने कॉपीराइट नियमों में बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने कहा
कि पुस्तकों को विश्व के नेत्रहीन लोगों के लिये सुलभ बनाना हमारा दायित्व है। विश्व
स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार विश्व में नेत्रहीन लोगों की संख्या
साढ़े 28 करोड़ है। नेत्रहीन लोगों के लिये तथाकथित "पुस्तक अकाल" को समाप्त करने
का आग्रह कर महाधर्माध्यक्ष ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि "विकासशील और कम
विकसित देशों में केवल एक प्रतिशत पुस्तकें ही नेत्रहीन लोगों के लिए सुलभ प्रारूपों
में उपलब्ध हैं"। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में भी यह सिर्फ पाँच प्रतिशत है। महाधर्माध्यक्ष
ने सचेत कराया कि कॉपीराइट का लक्ष्य "जनकल्याण हेतु रचनात्मक कृतियों का विस्तार करना
है।" उन्होंने कहा, "कॉपीराइट अपने आप में एक अन्त नहीं है।"