2013-06-19 15:30:40

वाटिकन सिटी : आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस के संदेश


वाटिकन सिटी, बुधवार, 19 जून 2013 (सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, 19 जून को बुधवारीय साप्ताहिक आम दर्शन समारोह के अवसर पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी करते हुए, उपस्थित भक्त समुदाय को सम्बोधित कर संत पापा फ्राँसिस ने कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
आज मैं द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा ‘कलीसिया की प्रकृति: शरीर’ की दूसरी अभिव्यक्ति पर प्रकाश डालूँगा। महासभा कहती है कि कलीसिया ख्रीस्त का शरीर है।(लुमेन जेनसियुम-7)
संत पापा ने कहा, "मैं इसे प्रेरित चरित से लिए गये पाठ से शुरु करना चाहूँगा जिसे हम सभी अच्छी तरह जानते हैं। सौल का मन परिवर्तन, जो बाद में पौल कहलाया, एक सबसे बड़े सुसमाचार प्रचारक।(प्रे.च.9:4-5)। सौल ख्रीस्तीयों का अत्याचारी था किन्तु दमिश्क शहर जाने के रास्ते पर अचानक एक प्रकाश ने उसे घेर लिया, वह जमीन पर गिर गया तथा एक आवाज को कहते सुना, जो कह रही थी, "सौल, सौल तुम मुझे क्यों सताते हो? उसने पूछा, तुम कौन हो तब आवाज में से उत्तर आया, मैं येसु हूँ जिसे तुम सता रहे हो।"(पद 3-5)
संत पौलुस का यह अनुभव बताता है कि ख्रीस्त एवं ख्रीस्तीयों के बीच कितना गहरा संबंध है। जब येसु स्वर्ग चले गये उन्होंने हमें अनाथ नहीं छोड़ा किन्तु हमें पवित्र आत्मा का वरदान प्रदान किया। उनके साथ एक होकर हमारा संबंध अधिक गहरा हो गया है। द्वितीय वाटिकन महासभा कहती है कि येसु हमें अपनी आत्मा प्रदान करते हैं। येसु अपने आत्मा के संचार से अपने भाइयों में रहस्यात्मक रुप से अपने शरीर की रचना करते हैं जिसमें सहभागी होने के लिए सब लोग आमंत्रित हैं।(लुमेन जेनसियुम-7)
संत पापा ने कहा कि बपतिस्मा संस्कार में प्राप्त पवित्र आत्मा के वरदान के कारण हम एक रहस्यात्मक शरीर के अंगों की तरह प्रभु से संयुक्त हो गये हैं, जिसके वे शीर्ष हैं।
रहस्यात्मक शरीर की छवि हमें दैनिक प्रार्थना, ईशवचन के पाठ तथा संस्कारों में सहभागिता द्वारा ख्रीस्त से हमारी संयुक्ति को मज़बूत करने के महत्व की याद दिलाती है। संत पौलुस कोरिन्थ वासियों को बताते हैं कि यद्यपि ख्रीस्त का शरीर एक है तथापि यह भिन्न-भिन्न अंगों से बना है। कलीसिया में सहभागिता तथा संत पापा एवं धर्माध्यक्षों के साथ मिलकर प्रत्येक विश्वासी का उत्तरदायित्व है कि वह प्यार में ख्रीस्त के शरीर निर्माण के लिए अपने प्राप्त वरदानों को बांटे तथा सेवा अर्पित करे।
संत पापा ने प्रार्थना की कि ईश्वर परिवार, पल्ली एवं स्थानीय कलीसिया में सभी प्रकार के विभाजन को खत्म करने में हमारी मदद करें, साथ ही साथ हमारे हृदयों को दूसरों के लिए खोलने की कृपा दें जिससे कि हम ख्रीस्त के एक शरीर के अंगों की तरह एकता एवं भाईचारे में जियें तथा प्रेम के वरदान से प्रेरित होवें जिसे पवित्र आत्मा ने हमारे हृदयों में उंडेला है।
तत्पश्चात संत पापा ने अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों और पर्याटकों को सम्बोधित कर कहा," मैं आज के आमदर्शन समारोह में उपस्थित अंग्रेजी भाषी सभी तीर्थयात्रियों और पर्याटकों का अभिवादन करता हूँ। अनंत शहर का दर्शन हमारे प्रभु एवं उनके शरीर अर्थात् कलीसिया के प्रति आपको प्रेम से परिपूर्ण कर दे। ईश्वर आपको आशीष प्रदान करे।"
रविवार को, विश्वास को समर्पित वर्ष में हमने जीवन के स्रोत ईश्वर, ईश्वरीय जीवन प्रदान करने वाले ख्रीस्त एवं ईश संतान बने रहने में हमारी मदद करने वाली पवित्र आत्मा का समारोह मनाया है। मैं पुनः आप सभी को ‘जीवन के सुसमाचार’ के साक्षी बनने के लिए निमंत्रण देता हूँ। जो सभी दृष्टिकोण से जीवन समर्थक एवं जीवन रक्षक है। ख्रीस्तीय वह है जो जीवन को ‘हाँ’ अर्थात् जीवन्त ईश्वर को ‘हाँ’ कहता है।
इतना कहने के बाद संत पापा ने सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।








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