वाटिकन सिटीः ख्रीस्तीय परोपकारिता का स्रोत है येसु, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 18 जून सन् 2013 (सेदोक): प्रभु येसु ख्रीस्त ही ख्रीस्तीय परोपकारिता का
स्रोत हैं। वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में, सोमवार को, ख्रीस्तयाग
के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त का अनुसरण
ही ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को परोपकारी कार्यों के लिये प्रेरित करता है। सन्त
पापा ने कहा, "सन्त पौल के पत्र में निहित यह वाक्य कि "ख्रीस्तीय धर्मानुयायी वे लोग
हैं जिनके पास अपना कुछ नहीं है अपितु उनका सबकुछ प्रभु ख्रीस्त में हैं", स्पष्ट दर्शाता
है कि येसु ख्रीस्त ही ख्रीस्तीयों का सम्पत्ति हैं, वे ही उनके कोष हैं इसलिये अन्य
चीज़ों का ख्रीस्तीयों के लिये कोई महत्व नहीं।" सन्त पापा ने सचेत किया कि "संसार
के लिये येसु का कोई अर्थ नहीं, उसके लिये सांसारिक वस्तुएँ ही सब कुछ हैं, धन सम्पत्ति,
आत्मप्रदर्शन, मिथ्याभिमान, घमण्ड तथा समाज में उचित जगह किन्तु ख्रीस्तीयों के लिये
सबकुछ प्रभु येसु हैं और इसी कारण ख्रीस्तीय धर्मानुयायी भलाई करने में सक्षम बनते हैं,
यही ख्रीस्तीय हितैषिता और ख्रीस्तीय परोपकारिता का रहस्य है।" सन्त पापा ने कहा,
"जब लोग संसार और सांसारिक वस्तुओं का चयन करते हैं तब कलह उत्पन्न होती है, परिवारों
में, मित्रों के बीच, समाज में कलह जो कभी कभी युद्ध में परिणत हो जाती है।" सन्त
पापा ने समस्त काथलिकों को आमंत्रित किया कि वे अपने हृदयों को उदार रखने के लिये प्रभु
से सतत् प्रार्थना करें ताकि दैनिक जीवन में सांसारिक अथवा कुछ मायने न रखनेवाली वस्तुओं
के लिये झगड़ा न करें अपितु विनम्रता, भलाई तथा परोपकार जैसे सदगुणों का वरण कर सकें।