2013-06-15 12:34:17

लन्दनः ब्रिटेन यात्रा पर कार्डिनल तौराँ ने कहा अन्तरधार्मिक वार्ता शांति को देती प्रोत्साहन


लन्दन, 15 जून, सन् 2015 (सेदोक): ब्रिटेन में, शनिवार को, अपनी पाँच दिवसीय यात्रा के अन्तिम दिन परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लूई तौराँ ने वेस्टमिन्स्टर के महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित कर प्रचवन किया तथा एक बार फिर इस बात पर बल दिया कि विभिन्न धर्मों के बीच वार्ताओं को प्रोत्साहित कर लोगों के बीच शांति की स्थापना की जा सकती है।
12 से 16 जून तक कार्डिनल तौराँ ने ब्रिटेन की यात्रा की तथा लन्दन एवं बिरमिंगहैम में हिन्दु, जैन एवं सिक्ख समुदायों से मुलाकातें की। इन मुलाकातों में कार्डिनल महोदय ने इस बात पर बल दिया कि दया, शान्ति में योगदान प्रदान करती है और यह मूल्य हिन्दु, जैन, सिक्ख एवं काथलिक सभी धर्मों के लिये अहं महत्व रखता है।
विभिन्न धर्मों के बीच सदभाव, सम्मान एवं समझदारी को प्रोत्साहन देने हेतु अन्तरधार्मिक सम्वाद के प्रति काथलिक कलीसिया के समर्पण की कार्डिनल तौराँ ने पुनरावृत्ति की। उन्होंने कहा, "अन्तरधार्मिक वार्ता अन्यों की धार्मिक परम्पराओं को समझने एवं सराहने का वह माध्यम है जो लोगों के लिये स्वतंत्रता एवं शांति में जीवन यापन की स्थिति उत्पन्न करता है इसलिये काथलिक कलीसिया सदैव इसके प्रति समर्पित रहेगी।"
शनिवार को ख्रीस्तयाग प्रवचन में उन्होंने कहा, "ऐसे विश्व में जो नित्य बहु धार्मिक बनता जा रहा है तथा जहाँ अन्य धर्मों के लोगों के साथ जीवन यापन एक अपरिहार्य तथ्य बन रहा है, कलीसिया, सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों में, समस्त ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का आह्वान करती है कि वे मनुष्यों के बीच सेतुओं का निर्माण करें ताकि प्रत्येक व्यक्ति अन्य में शत्रु को न देखें बल्कि अपने भाई का साक्षात्कार करे।"
हिन्दु समुदाय के साथ मुलाकात में कार्डिनल महोदय ने करुणा के महत्व को प्रकाशित किया उन्होंने कहा, "दया, अहिंसा के अनुपालन की प्राकृतिक अभिव्यक्ति है, जिसके आधुनिक प्रेरित महात्मा गाँधी ने हिन्दु एवं ख्रीस्तीय दोनों धर्मों के पवित्र ग्रन्थों से प्रेरणा ग्रहण की थी।"
दया और करुणा पर सन्त पापा फ्राँसिस के विचारों को व्यक्त कर कार्डिनल महोदय ने कहा कि दया, अन्यों की देखरेख, विशेष रूप से, समाज के कमज़ोर, निर्धन एवं हाशिये पर खड़े लोगों की मदद में अभिव्यक्ति प्राप्त करती है।
इसी प्रकार सिक्ख समुदाय के साथ मुलाकात में उन्होंने निष्काम एवं निःस्वार्थ सेवा के महत्व पर बल दिया तथा कहा कि काथलिक एवं सिक्ख धर्मानुयायियों द्वारा विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे कल्याणकारी कार्य, विश्व में न्याय, भाईचारा एवं शांति स्थापना में दिया जानेवाला महान योगदान है।








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