वाटिकन सिटीः क्रुद्ध होने और अपमान करने पर नियंत्रण ज़रूरी सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 14 जून सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि अपनी जबान पर लगाम
लगाना तथा बोलने से पहले सोचना ही हितकर है क्योंकि क्रुद्ध होकर अन्यों का अपमान करने
में हम अपना ही अहित करते हैं। वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में
गुरुवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने उन लोगों की निन्दा की
जो फिज़ूल की बातों में समय गँवाते तथा अन्यों के लिये अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते
हैं। गुरुवार के ख्रीस्तयाग समारोह में परमधर्मपीठ के लिये आर्जेनटीना के राजदूतावास
के अधिकारियों तथा विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
प्रभु येसु के कथन को दुहराते हुए उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अभिशाप देता है वह
नर्क के योग्य है। सन्त पापा ने सचेत किया कि जो व्यक्ति ख्रीस्त के अनुयायी होने
का दावा करते हैं उनसे अन्यों की अपेक्षा आचार व्यवहार सम्बन्धी अधिक मांगें की जाती
हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त ने इन मांगों को स्पष्ट किया है जिनमें प्राथमिक
मांग है अपने भाई के साथ उचित व्यवहार। सन्त पापा ने कहा, "यदि हमारे हृदयों में
अन्यों के प्रति दुर्भावना भरी है तो सचमुच में हममें ही कोई कमी है, हमें ही मनपरिवर्तन
करना होगा।" उन्होंने कहा, "भाई के प्रति क्रोध भाई का अपमान है, वह घातक है, किसी को
मार डालने के समान है।" सन्त पापा ने कहा कि यह जानने के लिये किसी मनश्चिकित्सक के
पास जाना आवश्यक नहीं कि जब हमारा विकास नहीं हो पाता तो हम अन्यों को छोटा दिखाने का
प्रयास करते हैं ताकि ख़ुद महत्वपूर्ण महसूस कर सकें। उन्होंने कहा कि यह बचाव का एक
भद्दा नमूना है जिससे बचना चाहिये। सन्त पापा ने कहा कि हम सब एक ही पथ के राही हैं
और इस पथ पर यदि हम अन्यों का अपमान करेंगे, भाईचारे का रास्ता नहीं चुनेंगे तो हमारा
अन्त भी बुरा होगा। अपमान करने के बजाय अन्यों के प्रति सम्मान भाव के प्रदर्शन का सन्त
पापा ने सन्देश दिया।