वाटिकन सिटीः ख्रीस्तीय परम्परा वाले दोशों में भी विश्वास को नवीकृत करने की आवश्यकता,
सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 13 जून सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि पारम्परिक रूप
से ख्रीस्तीय धर्म का पालन करनेवाले देशों में भी विश्वास के नवीनीकरण की नितान्त आवश्यकता
है। गुरुवार को, वाटिकन में विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की साचिविक समिति की 13
आम सभा के सदस्यों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने नवीन सुसमाचार उदघोषणा का मर्म समझाया।
धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के सचिव महाधर्माध्यक्ष निकोला एतेरोविच के नेतृत्व में सन्त
पापा के साक्षात्कार हेतु पहुँचे धर्माध्यक्षों से उन्होंने कहा कि सुसमाचार की उदघोषणा
के लिये ही कलीसिया अस्तित्व में है। सन्त पापा ने कहा, "नवीन सुसमाचार उदघोषणा
जैसी अभिव्यक्ति इस बात को रेखांकित करती है कि प्राचीन काल से ख्रीस्तीय धर्म एवं उसकी
परम्पराओं का पालन करते आये देशों में भी नये तरीके से सुसमाचार की उदघोषणा आवश्यक है
ताकि ख्रीस्तीय धर्म रोज़मर्रा का ऊबाउ काम बनकर न रहे अपितु प्रभु ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार
का अनुभव सिद्ध हो।" सन्त पापा पौल षष्टम को उद्धृत कर उन्होंने कहा, "समाज की
वर्तमान परिस्थिति हमें अपने तौर तरीकों के पुनरावलोकन हेतु बाध्य करती है, इस बात के
अध्ययन की मांग करती है कि किस तरह आधुनिक विश्व के मानव तक ख्रीस्तीय धर्म का सन्देश
पहुंचाया जाये क्योंकि केवल उसी में मनुष्य अपने प्रश्नों का हल ढूँढ़ सकता तथा मानवीय
एकात्मता हेतु शक्ति प्राप्त कर सकता है।" सन्त पापा ने कहा कि सुसमाचार की उदघोषणा
केवल ख्रीस्तीय समुदाय की सेवा नहीं है अपितु यह सम्पूर्ण मानवजाति की सेवा है। सभी
ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का सन्त पापा ने आह्वान किया कि वे ईश्वरीय करुणा में विश्वास
रखते हुए, सादगी एवं सरलता के साथ, अपनी प्रार्थनाओं में, निर्धनों के प्रति उदारता में
तथा अपने दैनिक कार्यों में सुसमाचार की उदघोषणा करें ताकि प्रेम, न्याय एवं शांति पर
आधारित विश्व की रचना सम्भव बन पड़े।