2013-06-12 11:50:03

वाटिकन सिटीः धन दौलत ईश वचन की शक्ति को क्षीण बना देते हैं, सन्त पापा प्राँसिस


वाटिकन सिटी, 12 जून सन् 2013 (सेदोक): धनवान कलीसिया जो ईश्वर की स्तुति नहीं करती तथा ईश्वरीय कृपा के वरदान की उपेक्षा करती है वह वृद्ध और निर्जीव कलीसिया है।
मंगलवार को वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि धन दौलत के प्रति मोह सुसमाचार प्रचार में बाधा डालता है।
सन्त पापा ने कहा कि जो व्यक्ति प्रभु येसु के सुसमाचार की उदघोषणा करने का दावा करते हैं उन्हें स्वयं अपने जीवन में सुसमाचारी मूल्यों का साक्ष्य देना चाहिये। सांसारिक धन दौलत एवं भौतिक सुख के बजाय प्रभु से मिलनेवाली कृपा ही उनकी सबसे बड़ी दौलत होनी चाहिये।
सन्त पापा ने कहा कि जब येसु ने अपने शिष्यों से कहा था कि वे सुसमाचार प्रचार के लिये जाते समय अपने साथ कुछ नहीं ले जायें तब उनका कहना यही था कि वे सरलता और सादगी से सुसमाचार का सन्देश लोगों में फैलायें।
सन्त पापा ने कहा, "सादगी, ईश वचन की शक्ति एवं ईशकृपा को प्रकाशमान करती है।"
सन्त पापा ने कहा कि मुक्ति का वरदान हमें मुफ्त में मिला है इसलिये प्रभु ख्रीस्त के आदेशानुकूल "जो हमें मुफ्त में मिला है हम उसे मुफ्त में दे दें।"
सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया कि कलीसिया कोई ग़ैरसरकारी संस्था नहीं है बल्कि वह मुक्ति एवं कृपा का समुदाय है इसलिये उसका मिशन सुसमाचार की उदघोषणा करना तथा अनवरत प्रभु ईश्वर की स्तुति करते रहना है।








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