ओडिशाः कन्धामाल हिंसा के बाद सरकारी क्षतिपूर्ति पर असन्तोष
ओडिशा, 11 जून सन् 2013 (एशियान्यूज़): कटक-भूबनेश्वर के सेवानिवृत्त महाधर्माध्यक्ष
राफायल चीन्नत ने आरोप लगाया है कि सन् 2008 में कन्धामाल में हुई ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा
के उपरान्त केन्द्रीय तथा राज्य सरकार नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में असमर्थ रही
है। एशियान्यूज़ से उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल मृत लोगों तथा ध्वस्त हुए मकानों
की क्षतिपूर्ति की है जबकि कृषि भूमि, निजी सम्पत्ति तथा लघु प्रार्थनालयों के पुनर्निर्माण
के लिये कुछ नहीं दिया है। भूबनेश्वर तथा नई दिल्ली स्थित दो ग़ैरसरकारी मानवाधिकार
संस्थाओं द्वारा "अन्यायपूर्ण क्षतिपूर्ति" शीर्षक से, शुक्रवार 07 जून को, एक रिपोर्ट
प्रकाशित की गई। इसी पर एशिया न्यूज़ के साथ महाधर्माध्यक्ष चीन्नत चर्चा कर रहे थे।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने ध्वस्त मकानों के पुनर्निर्माण के लिये तो धन
दिया है किन्तु प्रार्थनालयों की क्षतिपूर्ति नहीं की है। उन्होंने कहा, "सरकार की दलील
है कि वह गिरजाघरों एवं प्रार्थनालयों का पुनर्निर्माण नहीं करवा सकती क्योंकि भारत एक
धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र है।" महाधर्माध्यक्ष चीन्नत ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक
याचिका दर्ज़ कर क्षतिग्रस्त गिरजाघरों के निर्माण एवं मरम्मत के लिये तीन करोड़ रुपये
की अपील की थी। उन्होंने कहा, "हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने क्षतिपूर्ति के पक्ष में निर्णय
दिया है कलीसिया को इसका केवल एक छोटा सा अंश ही प्राप्त हुआ है।"