वाटिकन सिटी: देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस के संदेश
वाटिकन सिटी, सोमवार, 10 जून 2013( सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण
में, रविवार 9 जून को "देवदूत प्रार्थना" के पूर्व एकत्रित भक्त समुदय को संम्बोधित कर
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, जून का महीना,
पराम्परागत रुप से, येसु के पवित्रतम हृदय को समर्पित है, जो ईश्वरीय प्रेम की उच्चतम
मानवीय अभिव्यक्ति है। वास्तव में, हमने पिछले शुक्रवार को ही येसु के पवित्रतम हृदय
का महापर्व मनाया। किन्तु इस त्यौहार का एहसास हम पूरे जून महीने में करते है।" संत
पापा ने कहा कि आम धार्मिक भक्ति प्रतीकों को बढ़ावा देती है तथा येसु का हृदय ईश्वर
की दया का सबसे बड़ा प्रतीक है जो एक काल्पनिक प्रतीक नहीं है, यह मूल या केन्द्र का
प्रतिनिधित्व करता है, यह एक ऐसा स्रोत है जहाँ से मानव मुक्ति बह निकलती है। संत
पापा ने सुसमाचार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुसमाचार में हम येसु के हृदय के कई संदर्भों
को पाते हैं जैसे येसु कहते हैं- "थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगों, तुम सभी मेरे
पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझसे सीखो। मैं स्वभाव
से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शांति पाओगे।"(मती.11:28-29) सुसमाचार
लेखक संत योहन के अनुसार रचित ख्रीस्त की मृत्यु का वर्णन महत्वपूर्ण है। "जब उन्होंने
ईसा के पास आकर देखा कि वे मर चुके हैं... एक सैनिक ने उनकी बग़ल में भाला मारा और उस
में से तुरन्त रक्त और जल बह निकला।" (योहन19: 33-34)। संत पापा ने कहा कि संत योहन ने
उस साधारण चिन्ह में इस भविष्यवाणी को पूरा होते हुए पहचाना कि क्रूसित येसु ईश्वर के
मेमने के हृदय से सभी मनुष्यों के लिए क्षमा और जीवन प्रस्फुटित होता है। उन्होंने
कहा, "किन्तु येसु की दया केवल एक भाव नहीं है वास्तव में यह एक शक्ति है जो व्यक्ति
को जीवन प्रदान करती है।" आज के सुसमाचार में नाईम की विधवा के साथ सम्पादित घटना का
ज़िक्र है।(लू.7:11-17) येसु अपने चेलों के साथ गलीलिया स्थित गाँव नाईम जा रहे थे। उस
समय वहाँ एक लड़के की दफन क्रिया के पूर्व अंतिम संस्कार हो रहा था, जो एक विधवा का एकलौता
बेटा था। येसु की दृष्टि तुरन्त उस विधवा के आँसू पर पड़ती है। सुसमाचार लेखक लूकस कहते
हैं," माँ को देखकर प्रभु को उस पर तरस हो आया और उन्होंने उससे कहा, रोओ मत।" (पद.13)
यह करुणा मानव जाति के लिए ईश्वर का प्रेम है। ईश्वर मनुष्यों की दयनीय स्थिति: गरीबी,
दुःख एवं पीड़ा में दया का मनोभव रखते हैं। बाईबिल में "करुणा" शब्द हमें माता के गर्भ
की याद दिलाता है। माँ बच्चों के दुःख में अपना दुःख अनुभव करती है। ऐसे ही ईश्वर हमें
प्यार करते हैं। संत पापा ने प्रश्न किया, "इस प्यार, दया और जीवन का फल क्या है?"
येसु ने नाईम की विधवा से कहा: मत रोओ, तथा युवक से "ऐ युवक मैं तुमसे कहता हूँ उठो।"
हमारे विचार से यह अति सुन्दर है: ईश्वर की दया मनुष्य को जीवन देती है, मृत्यु से नवजीवन
प्रदान करती है। ईश्वर हम पर हमेशा करुणा की दृष्टि रखते हैं, इस बात को हम कभी नहीं
भूलें, हम उनके पास जाने से नहीं डरें। वे हम पर निरंतर दया दिखाते हैं दया करने हेतु
हमारी प्रतिक्षा करते हैं। वे अत्यंत दयालु हैं जब हम अपने अंतरिक घावों और पापों को
दिखाते हैं तो वे हमेशा हमें क्षमा कर देते हमपर दया करते हैं। येसु के पास हम जाए।
संत पापा ने माता मरिया से विनती करने का निमंत्रण देते हुए कहा, "हम माता मरियम
के पास आयें, उनके निष्कलंक एवं ममतामय हृदय के पास, वे हमारे लिए ईश्वर की "करुणा" को
हासिल करें। विशेषकर येसु के दुःखभोग एवं मृत्यु की घड़ी में। अपने भाई-बहनों के साथ
विनम्र और दयालु होने के लिए माता मरियम हमारी सहयता करें। इतना कहने के बाद संत
पापा ने "देवदूत प्रार्थना" का पाठ किया और उपस्थित भक्त समुदाय को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया। तदुपरांत संत पापा ने कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज क्राको में
पोलैंड के दो धर्मबहनों को धन्य घोषित किया गया; सोफिया स्ज़स्का मसीजोएस्का जिन्होंने
17वीं सदी में धन्य कुँवारी मरियम की को समर्पित कुवाँरियों के धर्मसंघ की स्थापना की,
तथा माग्रेट लुसिया स्जेव्येक जिन्होंने 19वीं सदी में दुःखों की माता मरियम की पुत्रियों
के धर्मसंघ की स्थापना की। उनके लिए हम क्राको की कलीसिया के साथ मिलकर ईश्वर को धन्यवाद
देते हैं। तत्पश्चात संत पापा ने विभिन्न देशों से आये सभी तीर्थ यात्रियों का अभिवादन
कर कहा, आज हमने ईश्वर के प्यार एवं येसु के प्यार पर चिंतन किया है हम उसे सदा याद
रखें कि वे सम्पूर्ण हृदय और करुणा से हमें देखते, प्यार करते तथा हमारा इन्तजार करते
हैं। हम पूर्ण भरोसे के साथ येसु पास जाए वे सदा क्षमा प्रदान करते हैं। अंत में
संत पापा ने सब के प्रति शुभ रविवार की शुभकामनाएँ अर्पित की।