2013-06-08 12:22:56

वाटिकन सिटीः स्कूली बच्चों से बातचीत में सन्त पापा ने बताया अशान्त विश्व में आशा को किस तरह बनाये रखें


वाटिकन सिटी, 08 जून सन् 2013 (सीएनएस): वाटिकन स्थित सन्त पापा पौल षष्टम भवन में सन्त पापा फ्राँसिस ने, शुक्रवार को, इटली तथा अल्बानिया के येसु धर्मसमाज द्वारा संचालित स्कूलों के, लगभग 7000 छात्रों के साथ, 30 मिनटों तक जारी प्रश्नोत्तर काल के दौरान बताया कि अशान्त विश्व में किस तरह आशा को बरकरार रखा जा सकता है।
इस समारोह में येसु धर्मसमाज द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिये गये योगदान को प्रकाशित किया गया जिसके दौरान सन्त पापा ने स्कूली बच्चों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए आशंकाओं पर विजय पाने तथा आशा को बरकरार रखने का सन्देश दिया।
एक बालिका ने सन्त पापा से प्रश्न किया कि वे वाटिकन के प्रेरितिक प्रासाद में क्यों निवास नहीं करते? इसके उत्तर में, उन्होंने कहा, "इसमें धन वैभव के परित्याग जैसी कोई बात नहीं है और इस समय खाली प्रेरितिक प्रासाद कोई आलींशान महल नहीं है।" विनोदपूर्ण ढंग से उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, "इसका मनश्चिकित्सक कारण हैं।" उन्होंने कहा कि अलग रहना उन्हें कभी नहीं भाया वे लोगों के बीच रहना पसन्द करते हैं। कुछ निर्धन होना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "इतने अधिक धन वैभव और सभी के पोषण के लिये इतने अधिक संसाधनों के बावजूद इतने अधिक भूखे बच्चों को देखना समझ से बाहर है। इतने अधिक बच्चे भोजन एवं शिक्षा से वंचित हैं।" उन्होंने कहा, "निपट निर्धनता विश्व के लिये एक कलंक है इसलिये हममें से प्रत्येक को इस पर विचार करना चाहिये तथा ख्रीस्त के समान बनने के लिये थोड़ा निर्धन बनना सीखना चाहिये।"
ईश्वर पर विश्वास सम्बन्धी आशंका के बारे में एक युवक द्वारा पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए सन्त पापा ने कहा, "जीवनयात्रा एक कला है जो सरल नहीं है हमें सोच विचार कर आगे बढ़ते रहना है।" सन्त पापा ने छात्रों से कहा कि वे विफलताओं से घबराये नहीं अपितु आशा को मज़बूत कर आगे बढ़ते रहें। उन्होंने इस बात पर पुनः बल दिया कि धन वैभव सबकुछ नहीं है उनसे भी अधिक महत्वपूर्ण है मानव इसलिये कलीसिया का दायित्व सबसे पहले मानव व्यक्ति की सुरक्षा है।








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