2013-06-05 13:49:45

वाटिकन सिटीः भोजन नष्ट करना गरीब और भूखों की मेज़ से चोरी करने के समान है, संत पापा।


वाटिकन सिटी, बुधवार 5 जून 2013 (बीआर सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित भक्त समुदाय को सम्बोधित कर, बुधवार 5 जून को साप्ताहिक आम दर्शन समारोह के अवसर पर अपनी धर्म शिक्षा माला जारी की। इस अवसर पर उन्होंने "विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में, पर्यावरण की रक्षा" पर चिंतन प्रस्तुत किया, उन्होंने कहाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनों,
सुप्रभात।
आज मैं पर्यावरण के प्रश्न पर प्रकाश डालना चाहता हूँ, जैसे मैंने कई अवसरों पर किया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित "विश्व पर्यावरण दिवस" मुझे इस विषय पर चिंतन हेतु बाध्य करता है जो भोजन की बर्बाद को तथा भोजन को नष्ट न करने का आह्वान करता है।"

संत पापा ने कहा कि आज का आम दर्शन समारोह विश्व पर्यावरण दिवस के साथ मनाया जा रहा है अतः यह उचित है कि ईश्वर के आदेश (उत्प.215) के अनुकूल हम प्रकृति के उपयोग एवं उसकी रक्षा के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी पर चिंतन करें।

संत पापा ने धर्म शिक्षा माला में उत्पति ग्रंथ से चिंतन करते हुए कहा, "जब हम पर्यावरण की बात करते हैं मेरा विचार बाइबल के प्रारंभिक पन्नों यानि उत्पति ग्रंथ पर जाता है जो बतलाता है कि ईश्वर ने नर और नारी की सृष्टि की तथा उन्हें पृथ्वी पर रखा जिससे कि वे उस पर खेती करें एवं उसकी देखभाल करें। संत पापा ने कुछ प्रश्नों को रखा, "‘खेती करने’ और ‘पृथ्वी की देखभाल करने’ का अर्थ क्या है? क्या हम वास्तव में खेती कर रहे हैं तथा सृष्टि की रक्षा कर रहे हैं? या क्या हम उसका शोषण एवं उपेक्षा कर रहे हैं?

संत पापा ने मानव पारिस्थितिकी पर विचार रखते हुए कहा " हम केवल प्राकृतिक पर्यावरण के सम्मान हेतु ही नहीं बुलाये गये हैं, अपितु हमारे पूरे मानव परिवार के सभी लोगों के प्रति सम्मान एवं एकात्मकता प्रदर्शित करने के लिए बुलाये गये हैं।"
इन दोनों आयामों के बीच गहरा संबंध है, आज हम संकटकालीन दौर से होकर गुज़र रहे हैं जो न केवल आर्थिक संसाधनों के प्रबंध से संबंधित है किन्तु मानव संसाधन से भी संबंधित है, हमारे बहुत से भाई-बहन अत्यन्त गरीबी में जी रहे हैं विशेषकर बहुत सारे बच्चे पर्याप्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आहार से वंचित रह जाते हैं।
उपभोक्तावाद और अपव्यय करने की प्रवृति ने हम में से कुछ लोगों को बहुमूल्य संसाधनों तथा भोजन के अपव्यय को सहन करना सिखा दिया है, जबकि दूसरे भूखे मर रहे हैं। संत पापा ने कहा, "जो भोजन हम नष्ट करते हैं वह गरीब और भूखों की मेज़ से चोरी करने के समान है। मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि आप धरती तथा मानव परिवार के सभी भाई बहनों के प्रति सामान्य ज़िम्मेदारी का निर्वाह करते हुए एकात्मकता की भावना में इस गम्भीर नैतिक समस्या पर चिंतन करें।"

तदुपरांत संत पापा ने आम दर्शन समारोह में विभिन्न देशों से आये विभिन्न भाषा-भाषी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों को संबोधित कर कहा, मैं आज के आम दर्शन समारोह में उपस्थित सभी अंग्रेजी भाषा-भाषी को अपना स्नेहपूर्ण शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ। ईश्वर आपको आशीष दे।

तत्पश्चात संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।










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