वाटिकन सिटीः प्यार से सत्य बोला जाना चाहिये, सन्त पापा फ्रांसिस
वाटिकन सिटी, 05 जून सन् 2013 (सेदोक): ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के लिये आवश्यक है कि
वे सदैव सत्य बोलें तथा पसन्द किये जाने के प्रलोभन से बचें। वाटिकन स्थित सन्त मर्था
आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा
ने यह बात कही। अपने उपदेश में सन्त पापा ने भ्रष्ट लोगों के व्यवहार, उनके कृत्यों
एवं उनके बात करने के तरीकों के प्रति सचेत कराया। उन्होंने कहा, "पाखण्ड भ्रष्टाचार
की भाषा है।" हालांकि प्रायः यह मृदुल या सुन्दर शब्दों में छिपी होती है। उन्होंने कहा
कि यदि व्यक्ति अपने आप से प्रेम करता एवं अपने लाभ के लिये या अपने स्वार्थ के लिये
चिकनी चुपड़ी बातें करता है तो वह सच्चा नहीं है, उसकी भाषा पाखण्डियों और ढोंगियों की
भाषा है। सन्त पापा ने कहा. "प्रेम के बिना सच्चाई का अस्तित्व नहीं क्योंकि प्रेम
पहला सत्य है। यदि प्रेम न हो तो सत्य भी नहीं हो सकता।" "कैसर को कर दिया जाना उचित
है अथवा नहीं?", यह प्रश्न कर येसु को प्रलोभन में डालने का प्रयास करनेवाले फरीसियों
के सन्दर्भ में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "वे सत्य से प्रेम नहीं करते थे, वे केवल
अपने आप से प्रेम करते थे।" उन्होंने कहा, "उनकी आत्ममोही पूजा ने ही उन्हें अन्यों को
धोखा देने हेतु उकसाया तथा अन्यों के साथ विश्वासघात करने के लिये उन्हें आगे बढ़ाया।" सन्त
पापा ने कहा कि येसु अपने अनुयायियों से विनम्र भाषा की अपेक्षा करते हैं, वे चाहते हैं
कि उनके अनुयायी सरल एवं, निर्दोष बच्चों जैसा, निष्कपट व्यवहार करें।