वाटिकन सिटीः रोम की पल्ली में सन्त पापा ने त्रियेक ईश्वर पर किया चिन्तन
वाटिकन सिटी, 27 मई सन् 2013 (सेदोक): रोम में रविवार को, सन्त एलीज़ाबेथ एवं सन्त ज़खारियस
को समर्पित पल्ली की भेंट कर सन्त पापा फ्राँसिस ने त्रियेक ईश्वर पर चिन्तन किया। यह
सन्त पापा फ्राँसिस की प्रथम पल्ली यात्रा थी। सन्त पापा ने कहा, "पवित्र तृत्व या
त्रियेक ईश्वर वह रूप है जिसमें प्रभु ईश्वर ने स्वतः को हमारे समक्ष प्रकट किया। उन्होंने
अपने आप को प्रेम रूप में प्रकट किया और यह प्रेम केवल भावनात्मक प्रेम नहीं है बल्कि
पिता का प्रेम है जो जीवन के स्रोत हैं, पुत्र का प्रेम है जो हमारी मुक्ति के लिये क्रूस
पर चढ़े और तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठे, पवित्रआत्मा का प्रेम जो मानव को और विश्व
को नवीकृत करता और नवजीवन प्रदान करता है।" सन्त पापा ने कहा, "पवित्र तृत्व मानव
की तर्कणा का फल नहीं है। पवित्र तृत्व वह मुखमण्डल है जिसके द्वारा ईश्वर ने स्वतः को
प्रकट किया, मनुष्य से तटस्थ रहकर नहीं अपितु उसके संगसंग चलकर, इसराएल के लोगों के इतिहास
के साथ और सबसे महत्वपूर्ण नाज़रेथ के येसु द्वारा। येसु ने ही हमारा उद्धार किया है।
येसु ने ही हमें करुणामय पिता का ज्ञान कराया और येसु ही पवित्रआत्मा रूपी अग्नि को
इस संसार में लाये जो हमें मार्गदर्शन देते रहते, हममें विचारों का संचार करते तथा प्रेरणा
से अनुप्राणित करते हैं।" सन्त पापा ने कहा, "पिता ईश्वर सृष्टि की रचना करते, येसु
हमारा उद्धार करते तथा पवित्रआत्मा हमें अपने ईश्वरीय प्रेम से परिपूरित कर देते हैं।
यही है ख्रीस्तीय जीवनः पिता ईश्वर से, ईशपुत्र येसु से तथा पवित्रआत्मा से वार्ता करना।"
उन्होंने कहा येसु हमारे संग संग चलते तथा हमारा मार्ग प्रशस्त करते हैं। हमारी कठिनाइयों
में हमें समर्थन देते हैं। सन्त पापा ने कहा कि पवित्र तृत्व का अर्थ समझने पर ही
हम इस बात को बुद्धिगम्य कर पाते हैं कि ईश्वर अस्पष्ट, धुँधली या अनिश्चित्त चीज़ नहीं
है बल्कि ईश्वर परम प्रेम हैं।