वाटिकन सिटीः सन्त पापा फ्राँसिस ने वित्तीय संरचनाओं में नैतिक सुधारों का किया आह्वान
वाटिकन सिटी, 17 मई सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली
की निंदा करते हुए वित्तीय सुधारों का आह्वान किया तथा कहा कि ऐसे निकाय को सहा नहीं
जा सकता जिसमें धन की पूजा होती, निर्धनों पर अत्याचार किया जाता तथा मनुष्यों को उपभोग
की वस्तु में तब्दील किया जाता है। गुरुवार को सन्त पापा वाटिकन के क्लेमेनतीन सभागार
में, परमधर्मपीठ के लिये नियुक्त किरगिज़स्तान, आन्तिग्वा, बारबुदा, लक्समबुर्ग तथा बोट्सवाना
के नये राजदूतों को सम्बोधित कर रहे थे। वर्तमान वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार
की मांग करते हुए नवनियुक्त राजदूतों से उन्होंने कहा, "पैसे का काम सेवा होना चाहिये
शासन करना नहीं।" सन्त पापा ने कहा कि विश्वव्यापी वित्तीय एवं आर्थिक संकट वित्तीय
नीतियों की विकृतियों को प्रकाशमान करने के साथ साथ मानव परिप्रेक्ष्य में आये गम्भीर
ह्रास को भी दर्शाता है जो मनुष्य को केवल उसकी अपनी ज़रूरतों तक सीमित करता और इससे
भी बदत्तर मनुष्यों को उपभोग की वस्तु बना देता है। सन्त पापा ने कहा, "नैतिकता को
ध्यान में रखते हुए वित्तीय सुधारों को लाने की आवश्यकता है ताकि प्रत्येक को लाभ पहुँचानेवाली
आर्थिक नीतियाँ बनाई जा सकें।" बाईबिल के निर्गमन ग्रन्थ के सन्दर्भ में उन्होंने
कहा, "हमने पूजा के नये लक्ष्यों की रचना कर ली है। धन की पूजा में, प्राचीन काल के सोने
के बछड़े की पूजा फिर शुरु हो गई है जो हृदयविहीन, निर्मम तथा यथार्थ मानवीय लक्ष्यों
से रहित है। धनी एवं निर्धन वर्ग के बीच नित्य बढ़ते असन्तुलन की सन्त पापा ने निन्दा
की और कहा कि कलीसिया के परमाध्यक्ष धनवान और निर्धन सभी से प्रेम करते हैं किन्तु उनका
यह भी दायित्व है कि वे धनवानों को स्मरण दिलायें कि निर्धनों की सहायता करना, उनका सम्मान
करना तथा उन्हें प्रोत्साहन देना धर्नी वर्ग का दायित्व है।