2013-05-15 11:32:58

प्रेरक मोतीः सन्त इसीडोर (1070-1130 ई.)


वाटिकन सिटी, 15 मई सन् 2013:

किसानों एवं मज़दूरों के संरक्षक सन्त इसीडोर का पर्व 15 मई को मनाया जाता है। इसीडोर का जन्म सन् 1070 ई. में स्पेन में एक निर्धन किसान के परिवार हुआ था। अपनी जीवन शैली द्वारा उन्होंने शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से भी यह दर्शा दिया था कि एक किसान मज़दूर का काम कभी समाप्त नहीं होता। किसान मौसम पर निर्भर रहते हैं इसलिये उनमें धैर्य होता है अर्थात् वह सदगुण जिसकी हममें से बहुतों को कमी है।

आज हम सबको तुरन्त फल की इच्छा रहती है और जब वह नहीं मिलता तो हम निराश हो जाते हैं, कुड़कुड़ाने लग जाते हैं, शिकायत करते हैं कि ईश्वर हमारी नहीं सुनते। किसी ने अच्छा ही इस स्थिति को "स्लॉट मशीन" का नाम दिया है। हम किसी चीज़ के लिये प्रार्थना करते हैं और चाहते हैं कि लॉटरी की तरह उसका फल तुरन्त और एक साथ मिल जाये। कार्डिनल न्यूमन कहा करते थे कि यद्यपि प्रभु येसु ने कहा है, "मांगो और तुम्हें मिलेगा", तथापि, उन्होंने यह नहीं कहा कि तुरन्त मिल जायेगा।

कभी-कभी ईश्वर प्रार्थनाओं में हमारी परीक्षा लेते हैं, हमारे धैर्य की परीक्षा ली जाती है, देखना यह है कि हम इस कसौटी पर खरे उतरते हैं या नहीं। यह कुछ ऐसा ही है जैसे माता पिता बच्चे को सबकुछ नहीं देते क्योंकि कुछ चीज़ें उसके लिये अच्छी नहीं होती हैं जबकि कुछ चीज़ों की उसे ज़रूरत नहीं होती। इसी प्रकार, ईश्वर भी हमें वही प्रदान करते हैं जो हमारे लिये आवश्यक है। इसीलिये तो कभी कभी हम पीछे मुड़कर यह कहते हैं, "प्रभु को धन्यवाद कि उस समय मुझे वह नहीं मिला जो मैं चाहता था।"

स्व. महाधर्माध्यक्ष फूलटन शीन भी यही कहते थे कि ईश्वर हमें वह सबकुछ नहीं देते जिसकी हम अभिलाषा रखते हैं किन्तु वे हमें वह सब देते हैं जिसकी हमें ज़रूरत है। सन्त इसीडोर अपने जीवन द्वारा हम सबको धैर्यवान बनने की प्रेरणा देते हैं। स्पेन के धर्मी पुरुष इसीडोर का निधन 1130 ई. में हो गया थे। सन्त इसीडोर किसानों एवं मज़दूरों के संरक्षक सन्त घोषित किये गये हैं। सन्त इसीडोर का पर्व 15 मई को मनाया जाता है।





चिन्तनः "प्रज्ञा का मूल स्रोत प्रभु पर श्रद्धा है। बुद्धिमानी परमपावन ईष्वर का ज्ञान है; क्योंकि मेरे द्वारा तुम्हारे दिनों की संख्या बढ़ेगी और तुम्हारी आयु लम्बी होगी। यदि तुम प्रज्ञ हो, तो उस से तुम को लाभ होगा। यदि तुम अविश्वासी हो, तो उस से तुम्हें हानि होगी" (सूक्ति ग्रन्थ 9:10-12)।








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