वाटिकन सिटी, सोमवार 12 मई 2103 (सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रोम स्थित संत पेत्रुस
महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 12 मई को पवित्र ख्रीस्तयाग के दौरान अपने उपदेश
में उपस्थित भक्त समुदाय से कहा: अति प्रिय भाईयो एवं बहनों, पास्का के सातवें
रविवार को पवित्रता के इस समारोह को मनाने के लिए हम यहाँ एकत्र हुए हैं। ईश्वर को धन्यवाद
जिन्होंने अपने प्रेम की महिमा प्रकट कीं हैं, उन्होंने ईश्वरीय प्रेम को ओट्रंटो के
शहीदों; माता लौरा मोनतोया और मरिया ग्वादालुपे गरचिया सावाला पर चमकाया है। मैं इस समारोह
में भाग लेने विभिन्न जगहों से आये सभी विश्वासियों का स्वागत करता हूँ।
संत
पापा फ्राँसिस ने कहा सुसमाचार घोषणा के प्रकाश में नये संतों को देखें। ईश वचन जो शहीद
हो जाने तक ख्रीस्त में विश्वस्त बने रहने का निमंत्रण देती है, यह एक ऐसा वचन है जो
ख्रीस्त और उसके सुसमाचार को सबों के लिए फैलाने की अनिवार्यता और सुन्दरता की याद दिलाती
है तथा हमें उदारता का साक्ष्य देने को कहती है, जिसके बिना शहीद और मिशन का कोई ख्रीस्तीय
अर्थ नहीं रह जाता है।" संत पापा ने कहा "कलीसिया शहीदों के एक दल को सम्मानित करने
के लिए हमारे सामने रखती है जिन्होंने एक साथ सुसमाचार का साक्ष्य शहीद होकर दिया है।"
ओट्रंटो के 800 से अधिक लोगों को ‘ख्रीस्त का परित्याग या मृत्यु’ इन दोनों के बीच चुनाव
करना था जिसमें उन्होंने ख्रीस्त और सुसमाचार के प्रति विश्वस्त बने रहना स्वीकीर किया।
संत पापा ने कहा, "निश्चय ही उनका विश्वास उन्हें ख्रीस्त के प्रति विश्वस्त बनें
रहने का बल प्रदान किया। उन्होंने इन दिनों दुनिया के विभिन्न भागों में हिंसा के शिकार
लोगों के लिए प्रार्थना की कि ईश्वर उन सभी ख्रीस्तीयों को संभालें तथा बुराई का बदला
अच्छाई से देने का साहस और निष्ठा प्रदान करे।
संत पापा ने संत लौरा मोन्तोया
की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने सुसमाचार का साक्ष्य एक उदार शिक्षिका
तथा आदिवासियों की आध्यात्मिक माता रुप में दिया है। संत लौरा का जन्म कोलोम्बीयन की
धरती के एक सुन्दर शहर में हुआ था। वे हमें ईश्वर के प्रति उदार बनने की शिक्षा देतीं
हैं। सिर्फ विश्वास को एकान्त में जीकर ही नहीं किन्तु हम जहाँ कहीं भी हैं, अपने वचन
और कर्म से सुसमाचार की खुशी को विकीर्ण करते एवं बांटते रहना है।" उन्होंने आगे
कहा, "शहीद मरने तक अपने विश्वास में अटल रहे, सुसमाचार का प्रचार ईश्वर के प्रेम में
निहित है जिन्होंने पवित्र आत्मा द्वारा हमारे हृदय में प्रेम डाल दिया है।" अतः हमें
भी आवश्यक है अपने दैनिक जीवन में उसके प्यार का साक्ष्य देने का।
संत मरिया
गौदालुपे गारचिया साभाला के बारे संत पापा ने कहा, उन्होंने येसु के बुलावे का प्रत्युत्तर
देने के लिए अपने ऐश की जिंदगी का परित्याग किया तथा गरीब और बीमार लोगों से प्रेम करने
के लिए लोगों को निर्धन जीवन से प्रेम करने का पाठ पढ़ाया। संत पाप ने कहा, "ख्रीस्त
के मांस को छूने का अर्थ यही है। गरीब, उपेक्षित, बीमार और नीच समझे जाने वाले लोग ख्रीस्त
के मांस हैं।" माता लुपिता ने ख्रीस्त के इसी मांस को छूआ और हमें भी ऐसा ही करना सिखाया
है। अडिग, निडर तथा ख्रीस्त के शरीर को छूने में घृणा नहीं करना। माता लुपिता ने ख्रीस्त
के शरीर को छूने का अर्थ अच्छी तरह समझा था।
संत पापा ने कहा कि रविवार के दिन
संत घोषणा हमारे लिए ख्रीस्त एवं उसके सुसमाचार में निष्ठा का एक "ज्वलंत उदाहरण" है।
जिससे हम अपने वचन और कर्म से ईश्वर के प्रेम का उदार साक्ष्य दें।" संत पापा ने कहा
कि उनका उदाहरण हमें चुनौती देता है। संत पापा ने कुछ प्रश्नों को चिंतन के तौर पर
विश्वासियों के सामने रखते हुए कहा, "मैं ख्रीस्त के प्रति कितना विश्वस्त हूँ ? क्या
मैं अपने विश्वास को आदर और साहस के साथ दिखा पाती हूँ? क्या मैं दूसरों के प्रति संवेदन
शील हूँ। क्या मैं दूसरों की आवश्यकता को देख पाती हूँ? क्या मैं हर व्यक्ति को एक भाई
और बहन के समान देखती हूँ तथा प्यार करती हूँ?
अंत में संत पापा ने धन्य कुवाँरी
मरिया तथा नये संतों से प्रार्थना की कि "प्रभु हमारे जीवन को अपने प्रेम के आनन्द से
भर दें।"