वाटिकन सिटी, शनिवार 11 मई, 2013 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने 10 मई को वाटिकन में अवस्थित
अपने निवास सान्ता मार्ता के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान के दौरान प्रवचन में
कहा कि ख्रीस्तीयों को चाहिये कि वे खुशी से ख्रीस्तीय जीवन का साक्ष्य दें क्योंकि दुःखी
ख्रीस्तीय चेहरे ‘मसालेदार मिर्च’ के समान हैं।
संत पापा ने कहा कि यदि हम अपने
आनन्द को अपने पास ही रखते हैं और हम बीमार हो जाते हैं।
हमारा ह्रदय कठोर हो
जाता है, हमारे चेहरे में झुर्रियाँ आ जाती हैं और हमारे चेहरों से आनन्द की किरणें नहीं
निकल पातीं हैं। इसमें केवल उदासी और एकाकीपन झलकती है जो हितकारी नहीं है। संत पापा
फ्राँसिस ने प्रेरित चरित अध्याय 18 के आधार पर अपने प्रवचन दिये।
संत पापा ने
कहा कि आनन्द ईश्वर का वरदान है जो हमें अन्दर से पूर्ण करता है पर इसे अन्दर नहीं रखा
जा सकता है। यह एक महान गुण है जिसे दूसरों को बाँटा जाना चाहिये। इसे सिर्फ़ कलीसिया
के अन्दर नहीं रखा जा सकता है।
उन्होंने कहा आनन्द धन-सम्पति से नहीं आता, क्षणभंगुर
नहीं होती पर यह इससे गहरी है।
संत पापा ने अपने उपदेश में मिश्र के कोप्टिक पोल
तावाद्रोस के रोम आने और उनसे मुलाक़ात की भी चर्चा की और कहा कि यह एक ऐसा खुशी का अवसर
है जब हमने उनसे भेंट की, बातें की और एक साथ चलने के संकल्प को दुहराया।
विदित
हो आज संत पापा ने वाटिकन रेडियो के कर्मचारियों के लिये मिस्सा बलिदान चढ़ाया जिसमें
वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोमबारदी ने हिस्सा लिया।
यूखरिस्तीय
बलिदान महाधर्माध्यक्ष मेरिदा बाल्ताज़ार और बेनेदिक्त मठवासी सुपीरियर नोत्केल वूल्फ
ने हिस्सा लिया।