2013-05-08 11:47:03

संत पापा की धर्मशिक्षा, 8 मई, 2013


वाटिकन सिटी,8 मई, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों तथा भक्तों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, विश्वास वर्ष के अवसर पर ‘विश्वास’ विषय पर बुधवारीय धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए हम ‘पवित्र आत्मा’ पर चिन्तन करें।
ख्रीस्तीय विश्वास या ‘प्रेरितों के धर्मसार’ में हम दुहराते हैं "मैं जीवनदायी प्रभु और पवित्र आत्मा में विश्वास करता हूँ।" इसका अर्थ है पवित्र आत्मा, पवित्र तृत्व ईश्वर का तीसरा जन, पूर्ण रूप से प्रभु और ईश्वर हैं।
पवित्र आत्मा पुनर्जीवित ईश्वर का वरदान है जो विश्वास में हमें अपनी ओर आकर्षित करता और त्रियेक भगवान में एक होने का आमंत्रण देता है।
हमारा विश्वास हमें इस बात को भी बतलाता है कि आत्मा ‘जीवनदायी’ है। हम इस बात की सदा कामना करते हैं कि हमें सच्चा जीवन और पूर्ण प्रेम और शांति की प्राप्ति हो।

पवित्र आत्मा हमारे ह्रदय में निवास करता और हमें उस अनन्त जल को प्रदान करता है जिसकी प्रतिज्ञा येसु ने समारी महिला से की थी।

पिता ईश्वर की इच्छा से येसु के माध्यम से मिलने वाला पवित्र आत्मा का पावन जल हमें पवित्र करता और नवीन कर पवित्र बनाता है। वह सात वरदानों से भर देता और हमें ईश्वर की संतान बनाता है।

आज हमें पवित्र आत्मा इस बात के लिये आमंत्रित करता है कि हम दुनिया की वस्तुओं को ख्रीस्ती की आँखों से देखें, ईश्वर के असीम प्रेम को पहचानें और उसी प्रेम को अपने भाइ-बहनों तथा पड़ोसियों के साथ बाँटें।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, स्कॉटलैंड, डेनमार्क, कनाडा, मॉल्टा, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर पवित्र आत्मा के वरदान तथा जीवित प्रभु के प्रेम और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।










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