वाटिकन सिटीः सहनशीलता एवं धैर्य ख्रीस्तीयों के लिये नितान्त आवश्यक, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 08 मई सन् 2013 (वीआर): प्रभु येसु मसीह के सुसमाचार का साक्ष्य प्रदान
करने के लिये ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के पास सहनशीलता एवं धैर्य का होना नितान्त आवश्यक
है। मंगलवार को वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर
पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त के सच्चे साक्षी
बनने के लिये सहनशीलता एवं धैर्य की नितान्त आवश्यकता है। सन्त पापा ने कहा, "धैर्य
रखने का अर्थ उदास होना कदापि नहीं है बल्कि इसका अर्थ है कठिनाइयों, विरोधों एवं दैनिक
जीवन के कष्ठों को अपने कन्धों पर धैर्यपूर्वक झेलना।" प्रेरित चरित ग्रन्थ के सन्त
पौल एवं सिलास का उदाहरण देकर सन्त पापा ने कहा कि उन्होंने "प्रभु ख्रीस्त के नाम पर
कष्ट एवं अपमान सहा तथा इस प्रकार धैर्य के पथ पर अर्थात् ख्रीस्तीय परिपक्वता के पथ
पर वे आगे बढ़ते गये।" अनेक ख्रीस्तीय शहीदों के धैर्य एवं सहनशीलता का स्मरण दिलाकर
सन्त पापा ने कहा कि अध्यवसायता के साथ ख्रीस्तीय धर्म के शहीद ईश नियमों पर चलते गये
और हम सब के लिये आदर्श बन गये हैं। सन्त पापा ने कहा कि यह याद रखना अनिवार्य है
कि कठिनाइयों के साथ साथ प्रलोभन भी हमारे सामने आते हैं किन्तु कठिनाइयों के बावजूद
प्रलोभन में न पड़ना ही ख्रीस्तीय धर्मानुयायी की पहचान है जैसा कि स्वयं प्रभु येसु
ख्रीस्त एवं इस धर्म के शहीद सन्तों ने किया था।