2013-05-08 11:59:41

मुम्बईः गुजरात में ख्रीस्तीयों के साथ द्वितीय श्रेणी के नागरिकों जैसा व्यवहार कहना काथलिक पुरोहित का


मुम्बई, 08 मई सन् 2013 (एशियान्यूज़): अहमदाबाद में येसु धर्मसमाजी मानवाधिकार केन्द्र "प्रशान्त" के निर्देशक काथलिक पुरोहित फादर सेडरिक प्रकाश की शिकायत है कि गुजरात में अल्पसंख्यकों को द्वितीय श्रेणी के नागरिक माना जाता है।
एशियान्यूज़ से बातचीत में उन्होंने कहा, "हम 2013 में जीवन यापन कर रहे हैं किन्तु गुजरात में अभी भी अल्यपसंख्यकों के साथ द्वितीय श्रेणी के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जाता है।
अन्तरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता सम्बन्धी अमरीकी आयोग की हालिया रिपोर्ट पर, येसु धर्मसमाजी पुरोहित फादर सेडरिक प्रकाश टीका कर रहे थे। इस रिपोर्ट में भारत को दूसरे स्तर पर रखा गया है तथा उन देशों की सूची में शामिल किया गया है जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता को कुण्ठित किया जाता है।
गुजरात में लागू धर्मान्तरण विरोधी कानून पर बोलते हुए फादर सेडरिक ने कहा, "सम्पूर्ण भारत में लागू कानूनों में यह कानून सबसे भद्दा कानून है जो धर्मपरिवर्तन करने के इच्छुक व्यक्ति को नागर अधिकारियों की अनुमति लेने पर मजबूर करता है।" उन्होंने कहा, "इसके अलावा, इन दिनों गुजरात पुलिस विभिन्न क्षेत्रों में गिरजाघरों का दौरा कर बपतिस्मा के रेकार्ड के परीक्षण में लगी है।"
इसके अतिरिक्त फादर सेडरिक ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि सन् 2002 के हत्याकाण्ड के शिकार हुए लोग अभी भी न्याय के लिये तरस रहे हैं।
2002 में गोधरा नगर में साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग में 58 हिन्दुओं के मारे जाने के उपरान्त गुजरात के विभिन्न नगरों में दंगे भड़क उठे थे जिनमें लगभग 2000 लोग मारे गये थे। मरनेवालों में अधिकांश इस्लाम धर्मानुयायी थे। मानवाधिकार संगठनों ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर यह आरोप भी लगाये हैं कि उन्होंने दंगों को रोकने लिये कुछ नहीं किया था।









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