2013-05-03 07:51:03

वाटिकन सिटीः वाटिकन ने बौद्ध धर्मानुयायियों को प्रेषित की वेसाख की शुभकामनाएँ


वाटिकन सिटी, 03 मई सन् 2013(सेदोक): वाटिकन स्थित अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद ने वेसाख पर्व के उपलक्ष्य में, गुरुवार को, एक सन्देश की प्रकाशना कर सम्पूर्ण विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों के प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित की हैं। सन्देश का शीर्षक हैः "ईसाई एवं बौद्ध धर्मानुयायीः मानव जीवन से प्रेम, उसकी रक्षा तथा उसे प्रोत्साहन"। अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित यह सन्देश इस प्रकार हैः
प्रिय बौद्ध मित्रो,
    अन्तरधार्मिक परिसंवाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद की ओर से मैं आप सभी का हार्दिक अभिवादन करता हूँ। बैसाख उत्सव, हम ईसाइयों को, आपकी विभिन्न परम्पराओं के साथ स्नेही संवाद एवं सहयोग को नवीकृत करने का अवसर प्रदान करता है।


    सन्त पापा फ्राँसिस ने अपने परमाध्यक्षीय काल के प्रारम्भ में ही यह पुनर्पुष्टि की है कि विभिन्न धर्मावलम्बियों के बीच संवाद आवश्यक है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया है कि "कलीसिया, विश्व तथा समस्त सृष्टि को प्यार करने एवं उसकी रक्षा करने हेतु अपने दायित्व के प्रति सचेत है। निर्धनों, ज़रूरतमन्दों एवं पीड़ितों के हितार्थ हम बहुत कुछ कर सकते हैं ताकि न्याय, मेलमिलाप एवं शांति निर्माण को प्रोत्साहन मिले" (कलीसियाओं, कलीसियाई समुदायों तथा विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ साक्षात्कार, 20 मार्च सन् 2013)। "धन्य हैं जो मेलमिलाप कराते हैं" शीर्षक के अन्तर्गत प्रकाशित सन् 2013 का विश्व शांति सन्देश कहता है कि "जनकल्याण एवं शांति-प्राप्ति का मार्ग, सबसे पहले, मानव जीवन का सम्मान है, गर्भ के आरम्भिक क्षण से लेकर, उसके विकास के दौर में तथा उसकी प्राकृतिक मृत्यु तक। अस्तु, यथार्थ शांति-निर्माता वे लोग हैं जो मानव जीवन के -व्यक्तिगत, सामुदायिक तथा पारलौकिक- सभी पहलुओं से प्रेम करते, उसकी रक्षा करते तथा उसे प्रोत्साहन देते हैं। जीवन की परिपूर्णता शांति की पराकाष्ठा है। कोई भी शांतिप्रिय व्यक्ति जीवन के विरुद्ध आक्रमणों एवं अपराधों को सहन नहीं कर सकता" (विश्व शांति दिवस सन् 2013, अंक 4)।


    मैं यह बताना चाहता हूँ कि काथलिक कलीसिया आपकी महान् धार्मिक परम्पराओं का सम्मान करती है। आपके धर्मग्रन्थों में व्यक्त जीवन के प्रति सम्मान, मनन-चिन्तन, मौन एवं सादगी जैसे मूल्यों में, हम, प्रायः, अनुरूपता देखते हैं (दे. वेरबुम दोमिनी, अंक 119)। यह आवश्यक है कि हमारा यथार्थ भ्रातृत्वपूर्ण संवाद, ईसाइयों एवं बौद्धों के सामान्य मूल्यों, विशेष रूप से, जीवन के प्रति गहन सम्मान को प्रोत्साहित करे।


    प्रिय बौद्ध मित्रो, आपका मूलभूत नीतिवचन किसी भी संवेदी जीव की हत्या से परहेज़ करना सिखाता है और इस प्रकार स्वयं तथा अन्यों की हत्या को निषिद्ध करता है। समस्त जीवित प्राणियों के प्रति प्रेमपूर्ण दया आपके नीतिशास्त्र की आधारशिला है। हम ख्रीस्तीयों का विश्वास है कि येसु की नीति-शिक्षा का मर्म दोहरा हैः ईश्वर के प्रति प्रेम तथा पड़ोसी के प्रति प्रेम। येसु कहते हैं: "यह मेरी आज्ञा है कि तुम एक दूसरे से ऐसा ही प्रेम करो जैसा मैंने तुमसे किया है" (काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा अंक 1823)। ख्रीस्तीय धर्म का पाँचवां नियम, "हत्या मत करो" आपके मूल नीति वचन से बखूबी मेल खाता है। द्वितीय वाटिकन महासभा का दस्तावेज़ नोस्त्रा एताते सिखाता है कि "काथलिक कलीसिया, अन्य धर्मों में विद्यमान सत्य एवं पवित्र का अस्वीकार नहीं करती" (अंक 2)। अस्तु, मेरा विचार है कि बौद्ध एवं ख्रीस्तीय दोनों धर्मों के अनुयायियों के लिये यह नितान्त आवश्यक है कि हम, अपनी धार्मिक परम्पराओं की यथार्थ धरोहर के आधार पर, मानव जीवन से प्रेम करें, उसकी रक्षा करें एवं उसे प्रोत्साहन देने हेतु शांतिपूर्ण वातावरण सृजित करें।


    जैसा कि हम सब जानते हैं, मानव जीवन की पवित्रता पर इन उदात्त शिक्षाओं के बावजूद, विभिन्न रूपों में व्याप्त बुराई, व्यक्तियों एवं समुदायों में मानवता की भावना को कम कर, व्यक्ति के अमानवीयकरण को प्रश्रय देती है। यह दुखद स्थिति हम बौद्ध एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का आह्वान करती है कि हम मानव जीवन पर मंडरा रहे ख़तरों को बेनकाब करने के लिये एकजुट होवें तथा व्यक्तियों व समाजों के आध्यात्मिक एवं नैतिक पुनर्जागरण हेतु अपने अनुयायियों में नीतिसंगत चेतना जागृत करें ताकि हम मानव जीवन से प्रेम करनेवाले, उसकी रक्षा करनेवाले तथा उसके सभी आयामों में उसे प्रोत्साहन देने वाले यथार्थ शांति-निर्माता बन सकें।


    प्रिय बौद्ध मित्रो, मानव जीवन की पवित्रता को संवर्धित कर, हम नवीकृत करुणा एवं भ्रातृत्व के साथ आपसी सहयोग को जारी रखें ताकि मानव परिवार की पीड़ा दूर हो सके। इसी भावना के साथ, मैं आप सबको, एक बार फिर शांतिपूर्ण एवं हर्षपूर्ण बैसाख उत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएँ अर्पित करता हूँ।



जाँ लूई कार्डिनल तौराँ
अध्यक्ष

श्रद्धेय मिगेल एंगेल अयुसो ग्विकसॉट, एमसीसीजे
सचिव









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