2013-05-02 11:47:31

संत पापा की धर्मशिक्षा,1 मई, 2013


वाटिकन सिटी,1 मई, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों तथा भक्तों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, मई माह के प्रथम दिन हम श्रमिक संत जोसेफ का महोत्सव मनाते हैं। संत जोसेफ नाज़रेथ में एक बढ़ई का काम किया। व आज हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि श्रम की मर्यादा और महत्व क्या है? श्रम, ईश्वर की योजना का एक अभिन्न अंग है। दुनिया के वस्तुओं की रचना दायित्वपूर्ण तरीके से करने के कारण हम ईश्वर के प्रतिरूप नर और नारी बनाये जाने की मर्यादा का गहरा अनुभव करते हैं।
यही कारण है कि बेरोज़गारी की समस्या आज इस बात का आह्वान करती है कि हम सामाजिक सहयोग के लिये कार्य करें तथा सही और न्यायपूर्ण नीतियाँ बनायें।
आज मैं उन युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहता हूँ जो पूरी आशा से अपने भविष्य की ओर आँखें लगाये हुए हैं और अपना अध्ययन कर रहे हैं कामों में लगे हैं और दूसरों के साथ अपना संबंध स्थापित कर रहे हैं।

संत जोसेफ मौन प्रार्थना और येसु के निकट रहने के आदर्श है। वे आज हमें आमंत्रित करते है कि हम प्रत्येक दिन अपना कुछ समय ईश्वर को दें और प्रार्थना करें।
मई का महीना रोजरीमाला का महीना है। रोजरीमाला करते हुए येसु के जीवन के रहस्यों पर चिन्तन करें।
मेरी प्रार्थना है कि संत जोसेफ और कुँवारी माँ मरियम हमें मदद करें कि हम विश्वासी बनें, अपने काम के प्रति वफ़ादार रहें और अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा येसु के साथ जुड़े रहें।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने दक्षिण कोरिया के ग्वानजीव महाधर्मप्राँत के तीर्थयात्रियों, इंगलैंड स्कॉटलैंड, डेनमार्क कनाडा, अमेरिका के और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर जीवित प्रभु के प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












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