वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 अप्रैल 2213 (वीआर सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस
बसिलिका के प्रांगण में पावन ख्रीस्तयाग के दौरान अपने उपदेश में कहा, "प्रिय भाईयो एवं
बहनों, तथा प्रिय दृढ़ीकरण प्राप्त विश्वासियो, मैं आप लोगों को तीन मुख्य बातें बताना
चाहता हूँ : 1.संत पापा ने अपने चिंतन के पहले भाग में प्रकाशना ग्रंथ से लिये गये
पाठ पर संत योहन के सुन्दर दिव्य दर्शन का विश्लेषण करते हुए कहा "सब कुछ नया है अर्थात
सब कुछ अच्छाई, सच्चाई और सुन्दरता में परिवर्तित हो चुका है अब कोई आँसु या विलाप नहीं
रह गया है...। यही पवित्र आत्मा का कार्य है। पवित्र आत्मा ईश्वर की ओर से हमारे
लिए नयी वस्तुओं को लाता है। वह आकर सभी चीजों को नया कर देता है। वह हमें बदल देता है।
संत योहन हमें याद दिलाते हैं कि हम सब स्वर्गीय येरुसालेम की ओर यात्रा कर रहे हैं,
जो हमारे नयेपन की चरम सीमा है जो हमें एवं सारी सृष्टि का इन्तजार कर रहा है। आनन्द
का वह दिन जब हम ईश्वर के सबसे सुन्दर और अद्भुत चेहरे को आमने-सामने देखेंगे और उनके
साथ सदा के लिए प्यार से निवास करेंगे । आप देख सकते हैं कि ईश्वर की नयी चीजें
इस संसार की वस्तुओं से भिन्न होती हैं; संसार की वस्तुएं अस्थायी हैं और आकर गुजर जाते
हैं। हमारी आशा उन वस्तुओं से कभी तृप्त नहीं होती है। नयी चीज़ें जिन्हें ईश्वर हमें
देते हैं वे स्थायी हैं न केवल आज पर भविष्य के लिए जब हम उनके साथ होंगे। ईश्वर अभी
भी सब कुछ नया बना रहे हैं। पवित्र आत्मा यथार्थ में हमें नवीकृत कर रहे हैं और हमारे
द्वारा इस संसार को जहाँ हम रहते हैं, बदल देना चाहते हैं। आइये, हम पवित्र आत्मा के
लिए अपना द्वार खुला रखें, उन्हें संचालित करने दें तथा एक नया व्यक्ति बनने के लिए अनवरत
कार्य करने दें। ईश्वर के प्रेम से प्रेरित होकर पवित्र आत्मा हम पर कृपा उँड़ेलता है।
यह कितना सुन्दर होगा यदि आप में से प्रत्येक हर संध्या कह सकेंगे, आज मैंने अपने
स्कूल, घर और कार्य में ईश्वर से संचालित रहा तथा अपने मित्रों, माता-पिता और बुज़ुर्गों
के प्रति प्रेम दिखाया है। 2.संत पापा ने अपने चिंतन के दूसरे भाग में, रविवार के
प्रथम पाठ का विश्लेषण करते हुए कहा, "कलीसिया की यात्रा और एक ख्रीस्तीय रुप में हमारी
स्वयं की यात्रा हमेशा सहज नहीं है हमें कठिनाईयों एवं परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता
है।" उन्होंने कहा प्रभु का अनुसरण करने के लिए हमारे जीवन के अंधेरे भाग एवं बुरे
कर्मों में पवित्र आत्मा को संचालित करने दें, वह हमारी बुराई को धो डालेगा और हमें सही
रास्ते पर ले चलेगा वाह्य एवं आंतरिक दोनों रुप में। कठिनाईयाँ एवं परिक्षाएँ हमारे जीवन
रास्ते के भाग हैं जो हमें ईश्वर की महिमा में आगे ले चलते हैं, उसी तरह जैसे येसु के
साथ हुआ जो क्रूस पर महिमान्वित हुए। हम जीवन में हमेशा इन कठिनाईयों से होकर गुजरेंगे,
ऐसी घड़ी हतोत्साह न हों, क्योंकि हमारे साथ पवित्र आत्मा की शक्ति है जो इन कठिनाईयों
में हमारा साथ देगा।" 3.संत पापा ने अपने उपदेश के तीसरे विन्दु पर चिंतन प्रस्तुत
करते हुए कहा, "नये दृढ़ीकरण प्राप्त विश्वासियो एवं यहाँ उपस्थित सभी विश्वासियो आप
सबसे आग्रह करता हूँ; विश्वास की यात्रा में प्रभु पर पूर्ण भरोसा रखते हुए निरंतर आगे
बढ़ें। यही हमारी यात्रा का रहस्य है कि वे खुद हमें जीवन के उतार -चढ़ाव में साहस प्रदान
करते हैं। मेरे प्रिय युवा साथियो, ध्यान रहे कि धारा के विपरीत दिशा में जाने से
हृदय के लिए अच्छा है किन्तु ज्वार -भाटे के समय विपरीत दिशा में तैरने के लिए साहस की
आवश्यकता होती है। येसु हमें ये साहस प्रदान करते हैं अतः कोई कठिनाई, परीक्षा या नसमझी
का डर नहीं है बशर्ते कि हम ईश्वर के साथ जुड़े रहें जैसे दाख लता में डालियाँ, उनके
साथ अपनी मित्रता न खो दें और अपने जीवन में उनके लिए अधिक जगह दें। विशेष करके जब
हम अपने आप में गरीब, कमजोर और पापी महसूस करते हैं ईश्वर हमारी कमजोरी में शक्ति, निर्धनता
में धनी तथा पापमयता में मन परिवर्तन और क्षमा प्रदान करता है। ईश्वर सभी समय दया से
परिपूर्ण है यदि हम उनके पास जाते हैं तो वह हमें क्षमा प्रदान करता है। आइये हम
ईश्वर के कार्यों में भरोसा रखें, उनके साथ हम महान कार्य कर सकते हैं हम शिष्यों के
बीच उनके साक्ष्य को लाने का आनन्द प्राप्त करेंगे। महत्वपूर्ण चीजों के लिए महान आदर्शों
के प्रति अपने आप को समर्पित करें। हम ख्रीस्तीय छोटी बातों के लिए नहीं चुने गये हैं
इसलिए सर्वोत्तम सिद्धान्तों के लिए आगे बढ़ें। मेरे प्रिय युवाओ, महान अदर्शो के
लिए अपने जीवन को दाँव पर लगायें। ईश्वर की नयी चीजों एवं जीवन की परीक्षाओं
में ईश्वर में दृढ़ बनें रहें। प्रिय साथियो, ईश्वर की नयी चीजों के लिए हमारे द्वार
को पूरी तरह खुला रखें जो पवित्र आत्मा हमें प्रदान करते हैं। संत पापा ने अंत में यह
प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा हमें नवीन कर दे, परीक्षा की घड़ी हमें दृढ़ बनाये रखे
तथा ईश्वर के साथ हमारी घनिष्ठता को दृढ़ बनाये रखने में बल दे, यही सच्चा आनन्द है।