2013-04-29 10:04:54

प्रेरक मोतीः सन्त पीटर चैनल (1803-1841)


वाटिकन सिटी, 28 अप्रैल सन् 2013

पीटर चैनल ओसियाना के संरक्षक सन्त हैं उनका जन्म फ्राँस के बेल्ली धर्मप्रान्त में सन् 1803 ई. को हुआ था। पुरोहिताभिषेक के बाद पीटर चैनल को फ्राँस में दूर दराज की एक पल्ली में भेज दिया गया था। अपने समर्पण एवं अपनी लगन द्वारा उन्होंने तीन वर्षों में ही इस पल्ली में प्राण फूँककर इसमें नवीन ऊर्जा का संचार कर दिया था। हालांकि, अपने मिशनरी उत्साह के कारण वे पल्ली में टिके नहीं बल्कि सन् 1831 ई. में मरियम को समर्पित मैरिस्ट धर्मसमाज से जुड़ गये जिसका प्रमुख मिशन फ्राँस तथा विदेशों में सुसमाचार की उदघोषणा पर केन्द्रित था। कुछ समय के लिये पीटर चैनल को बेल्ली धर्मप्रान्तीय गुरुकुल में प्राध्यापक बना दिया गया जहाँ उन्होंने निष्ठापूर्वक पाँच वर्षों तक अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह किया।

सन् 1836 ई. में मैरिस्ट धर्मसमाज के कार्य प्रशान्त महासागर तक फैले तथा पीटर चैनल को मिशनरियों के एक छोटे से दल के नेतृत्व के लिये भेज दिया गया। दस माहों की कठिन यात्रा के उपरान्त उक्त दल दो भागों में विभक्त हो गया। पीटर उनके एक धर्मबन्धु तथा ब्रितानी लोकधर्मी थॉमस बूग फुतुना द्वीप चले गये। पहले पहल, फुतुना की जनजातियों तथा, नरभक्षता को निषिद्ध करनेवाले, उनके राजा न्यूलिकी ने, मिशनरियों का अपने बीच हार्दिक स्वागत किया। हालांकि, बाद में, जब राजा ने देखा कि पीटर एवं उनके साथी स्थानीय बोली बोलने लगे थे तथा लोगों का विश्वास जीतने लगे थे तब वह उनसे ईर्ष्या करने लगा। उसमें यह आशंकाएं उत्पन्न हो गई कि यदि लोगों ने ख्रीस्तीय विश्वास का आलिंगन किया तो वे राजा, शासक और महायाजक होने के अधिकारों को ही खो देगा। अस्तु, जब राजा के ही सुपुत्र ने ख्रीस्तीय धर्म को स्वीकार करने की इच्छा जताई तब उसका क्रोध भड़क उठा। उसने पीटर चैनल तथा उनके साथी मिशनरियों को मार डालने के लिये अपने योद्धाओं को भेज दिया। इस प्रकार, 28 अप्रैल सन् 1841 ई. को पीटर तथा उनके साथियों को फुतुना के उन्हीं लोगों ने मार डाला जिनके विकास एवं उत्थान के लिये वे वहाँ पहुँचे थे।

पीटर चैनल के समर्पित कार्यों ने प्रशान्त सागर स्थित फुतुना द्वीप के लोगों को इतना प्रभावित किया कि उनके निधन के बाद पाँच माहों के भीतर ही सम्पूर्ण द्वीप ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया। शहीद सन्त पीटर चैनल का पर्व 28 अप्रैल को मनाया जाता है।

चिन्तनः सतत् प्रार्थना द्वारा प्रभु ख्रीस्त के प्रेम सन्देश की उदघोषणा का सम्बल प्राप्त करें तथा विश्व में न्याय, प्रेम एवं शांति की स्थापना में योगदान दें।








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