रोम के अपोल्लोनियुस दूसरी शताब्दी के सन्त और
शहीद हैं जो अपनी कृति "अपोलोजिया" अर्थात् "विश्वास के बचाव" शीर्षक से लिखी पुस्तक
के लिये विख्यात हैं। अपोल्लोनियुस की यह कृति आरम्भिक कलीसिया के अनमोल दस्तावेज़ों
में गिनी जाती है।
अपोल्लिनियुस एक रोमी शतपति थे तथा प्रभु ख्रीस्त में उनकी
अपार आस्था थी। इसी कारण उनके ही एक गुलाम ने उनकी शिकायत कर दी थी। ख्रीस्त में उनके
विश्वास के कारण तिजिदियुस पेरेन्निस ने अपोल्लोनियुस को गिरफ्तार कर लिया तथा सूचना
देनेवाले गुलाम को भी मौत के घाट उतार दिया। पेरेन्निस ने मांग की शतपति अपोल्लिनियुस
अपने विश्वास का परित्यग करें किन्तु उन्होंने इससे इनकार कर दिया।
अपोल्लिनियुस
के इनकार के बाद प्रकरण रोमी महासभा के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस सभा में पेरेन्निस
तथा अपोल्लिनियुस के बीच वाद विवाद हुआ जिसमें अपोल्लिनियुस ने ख्रीस्तीय धर्म के मूल्य
तथा उसके सौन्दर्य को रेखांकित किया। अपने सुस्पष्ट एवं सुन्दर बचाव के बावजूद अपोल्लिनियुस
को प्राणदण्ड की सज़ा दे दी गई तथा सिर से धड़ अलग कर उन्हें मार डाला गया। शहीद सन्त
अपोल्लिनियुस का पर्व 18 अप्रैल को मनाया जाता है।
चिन्तनः सतत् प्रार्थना
द्वारा कठिनाइयों एवं अत्याचारों के क्षणों में भी हम अपने विश्वास का साक्ष्य प्रदान
करें।