रोम, सोमवार, 14 अप्रैल, 2013 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने कहा सुसमाचार की घोषणा, साक्ष्य
और पूजन विधि, विश्वास के लिये परम ज़रूरी है। पेत्रुस और प्रेरितों का साहस भी अनुकरणीय
है।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने पास्का पर्व के तीसरे रविवार
के लिये 14 अप्रैल को ‘सेंट पौल आउट साइड द वॉल’ बसिलिका में आयोजित यूखरिस्तीय बलिदान
में प्रवचन दिये।
संत पापा ने कहा, ईशवचन को सुनकर विश्वास का जन्म होता है और
इसकी घोषणा द्वारा यह सुदृढ़ होता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की महान योजना में प्रत्येक
चीज़ महत्वपूर्ण है, आपका और मेरा छोटा साक्ष्य, ऐसे लोग भी जो छिपे रूप में ही सही अपने
रोजमर्रे की ज़िदगी में, पारिवारिक संबंधों में, श्रम में और आपसी रिश्तों में विश्वास
का साक्ष्य देते हैं।
संत पापा न कहा कि दुनिया "पवित्रता के मध्यमवर्गीय" छिपे
हुए संतों का खज़ाना है जिसमें हम और आप सब लोग शामिल हैं। दुनिया में हज़ारों ख्रीस्तीय
पेत्रुस और अन्य प्रेरितों के समान दुःख उठाते हैं।
संत पापा ने कहा कि हम जिस
रास्ते को भी अपनायें पर अपने जीवन का साक्ष्य दिये बग़ैर हम येसु के सुसमाचार की घोषण
नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि चूँकि येसु मसीह ने हमें चुना और बुलाया
है ‘सुसमाचार की घोषणा और उसका साक्ष्य’ दोनों तब ही संभव हैं जब हम येसु को पहचानते
हैं हमें चाहिये कि हम येसु के साथ अपना संबंध घनिष्ठ बनायें, जो तब ही संभव होगा जब
हम उन्हें येसु रूप में पहचानते और प्रभु रूप में उनकी आराधना करते हैं। संत पापा
ने कहा कि क्या हम ईश्वर की सिर्फ़ उस समय पलट कर देखते हैं जब हमें कुछ माँगना है या
हम ऐसे समय में भी वापस आते हैं जब हमें उनकी आराधना करनी है? ‘ईश्वर की आराधना’ करना
अर्थात उनके साथ जीना, उनके साथ वार्तालाप करना और इस बात को समझना कि वे एक सच्चाई,
अच्छाई और हमारे जीवन की सबसे मूल्यवान वस्तु रूप में हमारे बीच उपस्थित है।
संत
पापा ने कहा कि जानबूझकर या अनजाने ही हम कुछ प्रभावकारी वस्तुओं को अपने जीवन में सर्वोच्चे
प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि ईसाइयों के चाहिये कि वे जीवन की कठिन परिस्थितियों
में भी अपनी प्रिय वस्तुओं का त्याग करें, ईश्वर की खोज करें और उन्हें अपने जीवन का
केन्द्र बनायें।