2013-04-10 13:52:27

संत पापा की धर्मशिक्षा,10 अप्रैल, 2013


वाटिकन सिटी, 10 अप्रैल, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों तथा भक्तों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, विश्वास वर्ष में हम आज ‘विश्वास’ विषय पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखें। आज हम ख्रीस्तीय विश्वास की घोषणा के येसु के पुनरुत्थान और हमारी मुक्ति पर चिन्तन करें।

येसु की मृत्यु और उनका पुनरुत्थान ख्रीस्तीय विश्वास की नींव है। पाप और मृत्यु पर अपनी विजय के द्वारा उन्होंने हमारे लिये नये जीवन का द्वार खोल दिया है।
बपतिस्मा से नया जीवन पाकर हम पवित्र आत्मा के वरदानों को प्राप्त करते हैं और ईश्वर के दत्तक पुत्र-पुत्रियाँ बन जाते हैं। अब ईश्वर हमारे पिता है और वे हमें अपनी संतान रूप में प्यार करते हैं। वे हमें समझते, क्षमा देते और ऐसे समय भी जब हम उनसे दूर चले जाते हैं, हमारा आलिंगन करते हैं।
ख्रीस्तीय जीवन का अर्थ सिर्फ़ नियमों का पालन नहीं पर ख्रीस्तमय नया जीवन जीना है। इसका अर्थ है येसु के समान सोचना, उसी के समान आचरण करना और उन्हीं के प्रेम से पूर्णतः बदल जाना।
नया जीवन प्राप्त कर लेना सिर्फ़ काफ़ी नहीं है पर हमें चाहिये कि हम ईशवचन सुनें, प्रार्थना करें, संस्कारों विशेष करके मेल-मिलाप तथा यूखरिस्तीय संस्कार द्वारा तथा सेवा कार्यों द्वारा अपने जीवन को परिपोषित करें।
ईश्वर हमारे जीवन का केन्द्र हो। जब हम पाप और मृत्यु पर येसु की विजय से प्राप्त स्वतंत्रता, खुशी और आशा का साक्ष्य देते हैं तब हम अपने पड़ोसियों, भाई-बहनों और पूरी दुनिया को ईश्वर की ओर ले जाने और उनकी मुक्ति देने में अपना योगदान देते हैं।
इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने नाटो डिफेंस कॉलेज को, अंतरराष्ट्रीय शांति और सहयोग में अपनी सेवा के लिये शुभकामनायें दीं और अमेरिका के ‘वून्डेड वारियरियर्स’ के सदस्यों के लिये शुभ तीर्थयात्रा और आध्यात्मिक लाभ कामनायें की।

इसके बाद उन्होंने फिलिपीन्स, थाईलैंड, उत्तरी कोरिया, इंगलैंड, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडेन डेनमार्क, स्कॉटलैंड, कनाडा, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर जीवित प्रभु के प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











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