2013-04-04 18:47:31

निराशा और शिकायत प्रवृत्ति से येसु का अनुभव संभव नहीं


वाटिकन सिटी, वृहस्पतिवार, 4 अप्रैल 2013( सीएनएस)­: "निराशा और शिकायत-प्रवृत्ति से कठिन परिस्थितियों में येसु की उपस्थिति का अनुभव नहीं किया जा सकता है।"

उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने उस समय कही जब उन्होंने बुधवार 3 अप्रैल सुबह को दोमुस रोमानुस कार्यकर्त्ताओं और इसमें निवास करने वाले अतिथि पुरोहितों के लिये आयोजित मिस्सा में प्रवचन दिया।

उन्होंने उपदेश में सुसमाचार में वर्णित “एमाउस के रास्ते पर दो निराश चेलों” की घटना का विश्लेषण करते हुए कहा, “एमाउस के रास्ते पर चलते हुए सभी चेले डरे हुए थे, वे येसु के साथ घटी घटना पर बात- चीत कर दुखित थे एवं शिकायत कर रहे थे।”

चेले जितना अधिक शिकायत कर रहे थे उतना ही अधिक अपने आप में सीमित होने लगे थे। उनके सामने कोई क्षितिज नहीं थी, सिर्फ दीवाल था।

उनकी आशा थी कि येसु इस्राएल का उद्धार करेंगे पर अब पूरी आशा ध्वस्त हो चुकी थी।

संत पापा ने कहा, "जब हमारे जीवन में कठिनाई आती हैं कई बार हम अपने आप को शिकायतों के द्वारा बंद कर लेते हैं। येसु हमारे नजदीक, हमारे ही साथ चलते हैं पर हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं। सच तो है कि येसु हमारे जीवन के सबसे अंधकारमय क्षण में भी हमारे साथ रहते हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने कहा व्यक्ति के जीवन में शिकायत एवं घटनाओं के प्रति असंतुष्टि हानिकारक है क्योंकि यह आशा को नष्ट कर देती है।










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