श्रीलंका में मानवाधिकार उल्लंघन पर अमेरिका का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार
परिषद में मंजूर
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनआरएचसी) ने श्रीलंका में मानवाधिकार उल्लंघन के
बारे में अमेरिका का प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। प्रस्ताव के संदर्भ में जिनेवा में
21 मार्च 2013 को मतदान हुआ। 25 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में और 13 देशों ने प्रस्ताव
के विरोध में मत दिया।
8 देश मतदान से अनुपस्थित रहे। भारत ने प्रस्ताव के पक्ष
में जबकि पाकिस्तान ने प्रस्ताव के विरोध में मत दिए। मानवाधिकार परिषद में कुल 47 देश
सदस्य हैं।
भारत ने समस्या के समाधान के लिये दिये गये अपने प्रस्ताव में कहा
है कि श्रीलंका सरकार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून
के गंभीर उल्लंघनों के निवारण के लिए (श्रीलंका में) राष्ट्रीय कार्य योजना और आयोग (एलएलआरसी)
के रिपोर्ट को सही ढंग से लागू नहीं किया गया। कोलम्बो ने प्रस्ताव को ‘युध्द पीड़ित
तमिल लोगों के लिए पहले से ही लागू है’ कहकर अस्वीकार किया है।
श्रीलंका के तमिलों
ने एशियान्यूज़ को बताया कि जबकि सैकड़ो तमिल परिवार अभी भी संषर्घपूर्ण स्थिति से गुजर
रहे हैं सरकार बैठक, सम्मेलन और प्रेस सम्मेलन इत्यादि में पैसे खर्च करती है जो कि व्यर्थ
है।
पानादुना के एक काथलिक ने सरकार पर आरोप लगाया है कि युद्ध- पीड़ितों को
उचित सहायता नहीं मिल रही है और सरकार पर्यटन उद्योग को अधिक बढ़ावा दे रही है।
ज्ञात
हो कि श्रीलंका में 21.6 मिलियन जनसंख्या में 73.8 प्रतिशत सिंहली एवं 8.5 प्रतिशत तमिल
लोगों की है। सिंहली और तमिल आधिकारिक भाषाएं हैं और उनकी जनसंख्या का क्रमशः 74 और 18
प्रतिशत है।