दो पापाओं की ऐतिहासिक मुलाक़ात कास्तेल गंदोल्फो में
कास्तेल गंदोल्फो, रोम, शनिवार 23 मार्च, 2013(सेदोक, एशियान्यूज़) संत पापा फ्राँसिस
ने कास्तेल गंदोल्फो जाकर और ससम्मान सेवानिवृत्त संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें से एक ऐतिहासिक
मुलाक़ात की।
कार्यक्रम के अनुसार संत पापा फ्राँसिस के हेलीकॉप्टर ने वाटिकन
सिटी से 11.50 मिनट पर एक उड़ान भरा और 12 बजकर 10 मिनट में कास्तेल गंदोल्फो पहुँचे
जहाँ सेवानिवृत्त संत पापा बेनेदिक्त ने उनका अभिवादन किया।
संत पापा फ्राँसिस
के अगवानी करने के लिये अलबानो के धर्माध्यक्ष मरचेल्लो सेमारानो और कास्तेल गंदोल्फो
प्रेरितिक आवास के निदेशक डॉक्टर सवेरिया पेतरिल्लो उपस्थित थे।
संत पाप फ्राँसिस
ने पूर्व संत पापा बेनेदिक्त साथ भोजन किया। भोजन के बाद पोप फ्राँसिस और एमेरितुस पोप
दोनों ने प्रेरितिक प्रासाद के मंच से ही लोगों का अभिवादन किया।
विदित हो कि
काथलिक कलीसिया के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि दो पापाओं की मुलाक़ात संभव हो
पायी है। ऐसा इसलिये क्योंकि काथलिक परंपरा के अनुसार एक महाधर्मगुरु की मृत्यु के बाद
ही दूसरे का चयन किया जाता है।करीब 6 सौ वर्षों में पहली बार एमेरितुस संत पापा बेनेदिक्त
ने अपने सेवामुक्त होने की घोषणा की और 28 फरवरी 8 बजे संध्या से वे ग्रीष्मकालीन प्रेरितिक
प्रासाद कास्तेल गंदोल्फो में निवास करते हैं।
मीडिया द्वारा दोनों संत पापाओं
के एक-दूसरे के विपरीत स्वभाव का प्रस्तुत करने जैसी बातों के बावजूद संत पापा फ्राँसिस
ने अपने पूर्व अधिकारी सेवानिवृत्त संत पापा बेनेदिक्त के प्रति अपना गहरा सम्मान और
स्नेह दिखलाया है। उन्होंने उन्हें सदा ही ‘भेनेरेबल’ अर्थात् ‘पूजनीय’ कह कर संबोधित
किया है।
संत पापा फ्राँसिस के प्रथम आमदर्शन को दुनिया नहीं भूलेगी जब 13 मार्च
उन्होंने आरंभ ही में लोगों से निवेदन किया कि वे पूर्व संत पापा बेनेदिक्त के लिये प्रार्थनायें
करें। दूसरे दिन उन्होंने कार्डिनलों के साथ मिस्सा-पूजा अर्पित किया और संत पापा बेनेदिक्त
के क्रूस अपने हाथ में लिये हुए था।उन्हें संबोधित करते हुए पोप बेनेदिक्त की खुल कर
तारीफ़ करते हुए था कि उन्होंने अपनी दयालुता, विश्वास, विनम्रता और सादगी द्वारा कलीसिया
को समृद्ध बनाया है जो प्रत्येक जन के लिये एक आध्यात्मिक धरोहर बनी रहेगी।
मालूम
हो कि इसके पूर्व भी 13वीं शताब्दी में काथलिक कलीसिया ने दो संत पापाओं को देखा था
जब संत पापा सेलेस्टीन पंचम ने संत पापा बोनिफास अष्टम् के बाद कलीसिया के नेतृत्व की
ज़िम्मेदारी संभाली थी। दोनों के बीच का संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं था। बाद में सेलेस्टीन
पंचम की मृत्यु एक जेल में ही हो गयी।