2013-03-14 12:23:40

वाटिकन सिटीः नवनियुक्त सन्त पापा सर्वप्रथम येसुधर्मसमाजी, सर्वप्रथम दक्षिण अमरीकी


वाटिकन सिटी, 14 मार्च सन् 2013 (सेदोक): आर्जेनटीना में अब तक बोयनुस आयरस के महाधर्माध्यक्ष रहे जॉर्ज बेरगोलियो, बुधवार 13 मार्च, सन् 2013 को विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के 1.2 अरब अनुयायियों के परमधर्मगुरु नियुक्त कर दिये गये जिन्होंने फ्राँसिस नाम धारण किया। सन्त पापा फ्राँसिस काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष पद पर चुने जानेवाले प्रथम येसुधर्मसमाजी तथा दक्षिण अमरीका से चुने जानेवाले पहले सन्त पापा हैं। असीसी के सन्त फ्राँसिस का नाम धारण करनेवाले भी वे पहले सन्त पापा है जो निःसन्देह अर्थपूर्ण है तथा सन्त पापा फ्राँसिस की सादगी एवं उनकी सरल जीवन शैली का संकेत देता है।
असीसी के सन्त फ्राँसिस एक समृद्ध कपड़ा व्यापारी के पुत्र थे जिन्होंने अपना बाल्यकाल एवं यौवन धनसम्पन्नता में ठाठ बाठ से व्यतीत किया था। वे सेना में भी रहे थे किन्तु सन् 1204 ई. में युद्ध पर जाते समय एकाएक उन्हें दिव्य दर्शन प्राप्त हुए जिससे वे इस क़दर प्रभावित हुए कि उन्होंने सांसारिक सुख-सम्पदा के परित्याग का निर्णय ले लिया। रोम की तीर्थयात्रा पर वे सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के समक्ष भिक्षा मांगनेवाले भिखारियों के संग हो लिये तथा भीख मांगने लगे। यह अनुभव उनके लिये इतना हृदय विदारक रहा कि उन्होंने अकिंचनता का वरण कर निर्धनता में जीवन यापन का प्रण कर लिया था। असीसी के इन्हीं महान सन्त को नवनियुक्त सन्त पापा ने अपना आदर्श माना है।
अपनी सादगी एवं विनम्रता का परिचय सन्त पापा फ्राँसिस ने, अपनी नियुक्ति के तुरन्त बाद, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र विशाल जनसमुदाय को दर्शन देते समय ही दे दिया था। .........................
"भाइयो एवं बहनो, शुभ सन्ध्या, आप जानते हैं कि कॉनक्लेव का दायित्व एक नये सन्त पापा का चुनाव करना था। ऐसा प्रतीत होता है मानों मेरे कार्डिनल भाई उन्हें ले आने के लिये विश्व के अन्तिम छोर तक गये, परन्तु हम यहीं हैं। आपके स्वागत के लिये धन्यवाद। सबसे पहले मैं अपने ससम्मान सेवानिवृत्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के लिये प्रार्थना करना चाहूँगा। हम सब मिलकर उनके लिये प्रार्थना करें ताकि प्रभु उन्हें आशीष दें तथा माँ मरियम उनकी रक्षा करें।"
जॉर्ज बेरगोलियो सन्त पापा पद पर नियुक्त प्रथम येसुधर्मसमाजी हैं। येसु धर्मसमाज की स्थापना 16 वीं शताब्दी में काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष की सेवा हेतु की गई थी। यह धर्मसमाज सम्पूर्ण विश्व में अपनी शिक्षा प्रेरिताई तथा इसके सदस्यों के बौद्धिक कौशल के लिये विख्यात है। सन्त पेत्रुस महागिरजाघर की बालकनी से पहली बार लोगों को दर्शन देने हेतु बाहर आये सन्त पापा फ्राँसिस सफेद परिधान धारण किये हुए थे जबकि परम्परा के अनुसार नवनियुक्त सन्त पापा सफेद सूटान के साथ साथ कन्धों पर लाल रंग की शॉल धारण करते रहे हैं। इस विषय में वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने कहा, "आज रात सफेद परिधान में उन्हें देखने की मैंने अपेक्षा नहीं की थी। मेरे विचार से यह आश्चर्य की बात थी किन्तु यह सागर को पार करने तथा परिप्रेक्ष्य को उदार बनाने हेतु निर्णय लेने जैसे साहस को दर्शाता है।" अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, "सन्त पापा फाँसिस की नियुक्ति विश्व के उस क्षेत्र की शक्ति एवं सजीवता का बयान करती है जो हमारे जगत को अधिकाधिक आकार प्रदान कर रहा है।"
आर्जेनटीना के कार्डिनल जॉर्ज बेरगोलियो की, कलीसिया के परमाध्यक्ष पद पर नियुक्ति ने यूरोपीय सन्त पापाओं की शताब्दियों से चली आ रही परम्परा को भंग कर दिया तथा सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के लिये सादगी एवं विनम्रता की नया द्वार खोल दिया है। लगभग 1,300 वर्षों के उपरान्त एक ग़ैरयूरोपीय सन्त पापा नियुक्त हुए हैं।
लैटिन के अतिरिक्त, स्पानी, इताली, फ्रेंच, जर्मन एवं अँग्रेज़ी भाषा के ज्ञाता, नवनियुक्त सन्त पापा फ्राँसिस आर्जेनटीना तथा वाटिकन में अपनी सादगी एवं सरलता के लिये विख्यात हैं। कठिनाई में पड़े लोगों के बहुत क़रीब रहनेवाले सन्त पापा फ्राँसिस की जीवन शैली "सांसारिकता" से बहुत दूर रही है। उनके परिचितों की मानें तो आर्जेनटीना की राजधानी बोयनुस आयरस की सार्वजनिक बसों पर उनसे मुलाकात करना कोई असामान्य बात नहीं है।
प्रेरितवर सन्त पेत्रुस के 266 वें उत्तराधिकारी सन्त पापा फ्राँसिस का परिवार मूलतः इटली के पियमोन्तो प्रान्त के आस्ती नगर का है। बोएनुस आयरेस में 17 दिसम्बर सन् 1936 ई. को जॉर्ज मारियो बेरगोलियो का जन्म हुआ था जो बुधवार 13 मार्च सन् 2013 को विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष नियुक्त किये गये।
सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में तथा उससे संलग्न मार्गों में नये सन्त पापा के दर्शन हेतु बुधवार सन्ध्या लगभग डेढ़ लाख श्रद्धालु उपस्थित थे। सन्त पापा फ्राँसिस का आशीर्वाद पा लेने उपरान्त बहुत देर तक हज़ारों पुरोहितों एवं धर्मबहनों सहित तीर्थयात्री और पर्यटक महागिरजाघर के प्राँगण में नाचते, गाते एवं वीवा इल पापा और आर्जेनटीना, आर्जेनटीना के नारे लगाते दिखाई दिये।
सन्त पापा फ्राँसिस की जन्म एवं कर्मभूमि आर्जेनटीना में उनकी नियुक्ति की ख़बर पाते ही हर्षोल्लास से परिपूर्ण काथलिक धर्मानुयायियों ने स्थानीय गिरजाघरों में एकत्र होकर समारोह मनाया। पत्रकारों से बातचीत में 73 वर्षीय सेवानिवृत्त वकील होर्हे आन्द्रेज़ लोबातो ने कहा, "हमारी आशा है कि नये सन्त पापा काथलिक कलीसिया को विनम्रता के दिशा में ले जायेंगे जो सुसमाचार के क़रीब हो।"
सन्त पापा फ्राँसिस की अनापेक्षित परमाध्यक्षीय नियुक्ति ने आगामी वर्षों में काथलिक कलीसिया की दिशा के विषय में कुछेक आधारभूत प्रश्नों का उत्तर दे दिया है। लगभग 13 शताब्दियों तक यूरोपीय नेतृत्व के अन्तराल के बाद कार्डिनलों ने लातीनी अमरीका पर अपनी दृष्टि डाली जहाँ विश्व के 42 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी निवास करते हैं। पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों के विपरीत लातीनी अमरीकी महाद्वीप का ध्यान, भौतिकतावाद एवं यौन दुराचार की समस्याओं की बजाय, निर्धनता एवं उभरते ख्रीस्तीय धर्मपन्थों आदि पर अधिक केन्द्रित है। सन्त पापा फ्राँसिस का दीर्घकालीन प्रेरितिक अनुभव रहा है। ईशशास्त्र एवं दर्शन के प्राध्यपक होने के बावजूद वे लोगों के बीच अधिक रहे हैं। रायटर के पत्रकार से बातचीत में इटली के ईशशास्त्री मास्सिमो फाज्जियोली ने कहा, "ऐसा लगता है कि ये सन्त पापा जीवन क्या है इस बारे में और अधिक जागरुक रहेंगे।"
जॉर्ज बेरगोलियो का जन्म सात सदस्यीय एक परिवार में हुआ था। उनके पिता इताली आप्रवासी और एक रेलवे कर्मचारी थे तथा माता गृहस्वामिनी। 32 वर्ष की आयु में जॉर्ज बेरगोलियो पुरोहित अभिषिक्त हो गये थे। युवाकाल में श्वास सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्या के कारण जॉर्ज बेरगोलियो ने अपना एक फेफड़ा खो दिया था जिसके कारण उन्हें केमिकल इनजीनियरिंग की पढ़ाई का भी परित्याग करना पड़ा था। विलम्ब से येसु धर्मसमाज में प्रवेश करने के बावजूद चार वर्षों के बाद ही उन्हें स्थानीय येसुधर्मसमाजी समुदाय में उच्च पद पर नियुक्त कर दिया गया था।
निरंकुश सत्ता को चुनौती देने तथा मानवाधिकारों के अतिक्रमण करनेवालों के विरुद्ध आवाज़ बुलन्द करने के लिये सन्त पापा फ्राँसिस आर्जेन्टीना में विख्यात रहे हैं। समाज में पैर पसारती अनैतिकता का भी उन्होंने जमकर विरोध किया है। गर्भपात एवं गर्भनिरोध को उन्होंने जीवन पर प्रहार कहा है तथा इसे ईश्वरीय विधान का उल्लंघन बताया है। उन्होंने समलिंगकामियों के सम्बन्ध का विरोध किया। यहाँ तक कि सन् 2010 में, समलैंगिकों के बीच विवाह को उन्होंने "ईश्वरीय योजना को नष्ट करने का प्रयास" निरूपित किया था। ऐसा माना जा रहा है कि सन्त पापा फ्राँसिस, अपने पूर्वाधिकारी परमाध्यक्ष, ससम्मान सेवानिवृत्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें तथा धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की दृढ़प्रतिज्ञ, अटल एवं अनम्य नैतिक शिक्षाओं को ही आगे बढ़ाते रहेंगे।










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