2013-03-14 20:26:23

प्रथम लैटिन अमेरिकी और प्रथम जेस्विट 266वें संत पापा फ्रांसिस का परिचय


वाटिकन सिटी, वृहस्पतिवार, 14 मार्च, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पेत्रुस के 265 वें उत्तराधिकारी नवनियुक्त सन्त पापा फ्राँसिस लातीनी अमरीकी राष्ट्र अर्जेन्टीना से आनेवाले प्रथम पोप हैं। नये संत पापा फ्रांसिस प्रथम को प्रथम येसु समाजी या जेस्विट होने का भी गौरव प्राप्त है।

नये संत पापा का नाम जोर्ज मारियो बेरगोलियो था जिन्होंने संत पापा रूप में अपना नाम फांसिस ऑफ असीसी के सम्मान में फ्रांसिस चुना है।

76 वर्षीय नये सन्त पापा फ्राँसिस प्रथम का जन्म अर्जेन्टीना के बोयनुस आयरेस में 17 दिसम्बर सन् 1936 ई. को हुआ था। उनके पिता अर्जेन्टीना में इतालवी प्रवासी थे और अर्जेन्टीना रेल सेवा में कार्यरत थे।

केमिकल इंजीनियर की से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद जोर्ज ने पुरोहित बनने की इच्छा से सेमिनरी गये और सन् 1958 ईस्वी में उन्होंने जेस्विट नवशिष्यालय में प्रवेश किया। उन्होंने चिली में मानविकी की पढ़ाई की और सन् 1963 ईस्वी में व्यनेस आइरस के सन मिगले सेमिनरी से दर्शनशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई समाप्त की और इम्माकुलेट कोन्सेपशन ऑफ सान्ता फे मे अध्यापन का कार्य भी किया।

13 दिसम्बर सन् 1969 ई. को वे पुरोहित अभिषिक्त किये गये। अर्जेन्टीना के सान मिग्वेल में वे नोविशियेट में नोविस मास्टर की ज़िम्मेदारी निभाने के साथ-साथ उन्होंने ईश शास्त्र के प्राध्यपक, प्रोविंस कनस्लटर और कॉलेज़ के रेक्टर का भी दायित्व संभाला।

सन् 1973 से 1979 तक येसु धर्मसमाज के प्रोविंशियल तथा सन् 1980 से 1986 तक, सन्त पापा फ्राँसिस, सान मिग्वेल में दर्शन एवं धर्मतत्वविज्ञान विभाग के अध्यक्ष रहे थे। जर्मनी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त वे कोरदोबा में आध्यात्मिक मार्गदर्शक रहे।

20 मई सन् 1992 ई. को, सन्त पापा फ्राँसिस, आउका तथा बोयनुस आयरेस के सहयोगी धर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये थे।

03 जून सन् 1997 ई. को आप बोयनुस आयरस के महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये। विगत कई वर्षों से सन्त पापा फ्राँसिस पूर्वी रीति की कलीसिया के विश्वासियों के भी स्थानीय धर्माध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभाली। सन् 2005 से सन् 2011 तक सन्त पापा फ्राँसिस अर्जेनटीना के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला।
सन् 2001 में धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने आपको कार्डिनल पद पर प्रतिष्ठापित किया था।

कार्डिनल पद पर रहते हुए जॉर्ज मारियो बेरगोलियो, वाटिकन की दिव्य भक्ति एवं संस्कार, याजकवर्ग, समर्पित जीवन एवं प्रेरितिक जीवन हेतु समुदायों से सम्बन्धित परमधर्मपीठीय धर्मसंघो, संगठनों एवं समितियों के सदस्य रूप में अपनी सेवायें दी हैं।

इसके अतिरिक्त, परिवार सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद लातीनी अमरीका के लिये गठित परमधर्मपीठीय परिषद में भी आप सदस्य रह चुके हैं।

मालूम हो कि पोप के लिए 2005 में हुए चुनाव में जोर्ज मारियो बेरगोगलियो को प्रमुख दावेदार माना जा रहा था।

नये संत पापा फ्रांसिस ने दस किताबें भी लिखी हैं जिन्हें उन्होंने 25 साल के अन्तराल में लिखा है। इनमें धर्मसमाजियों के लिये चिन्तन, प्रेरितिक जीवन पर चिन्तन के अलावा, आशा, शिक्षा, राष्ट्र-निर्माण, भ्रष्टाचार और सेवा जैसे विषय प्रमुख रहे हैं।

"फ्रांसिस प्रथम मेट्रो रेल, बसों में सफ़र करते हैं और जब उन्हें रोम जाना होता है तो विमान की इकॉनोमी क्लास में जाना पसंद करते हैं"

अर्जेन्टीना में उनके धार्मिक उपदेशों को ख़ासा प्रभाव है, वे अक्सर सामाजिक भेदभाव और समाज के हाशिए पर रहे लोगों पर सरकार के ध्यान न देने पर चिंता जताते रहते हैं।

फ्रांसिस प्रथम की जीवन की सह-लेखिका फ्रांसिस्का एंब्रोगेटी ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि उनका सादगी भरा जीवन लोगों को आकर्षित करता है।

पोप फ्रांसिस प्रथम रुढ़िवादी और सुधारवादी दोनों ही माने जाते हैं। यौन संबधी विषयों पर जहां उनके विचार पुरातनपंथी कहे जा सकते हैं, वहीं सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे पर उनका नज़रिया उदारवादी है।

गर्भपात, गर्भनिरोधक और समलैंगिक शादियों जैसे विषय पर नए पोप के विचार रुढ़िवादी ही हैं।












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