2013-03-08 12:50:11

वाटिकन सिटीः सन्त पापा के चुनाव सम्बन्धी कुछ खास बातें


वाटिकन सिटी, 08 मार्च सन् 2013 (सेदोक): श्रोताओ, 28 फरवरी सन् 2013 को काथलिक कलीसिया के पूर्व परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के पदत्याग के उपरान्त इस समय वाटिकन में विश्व के विभिन्न क्षेत्रों से कलीसिया के राजकुमार कहलाये जानेवाले कार्डिनल एकत्र हैं जो आगामी दिनों में भावी सन्त पापा का चुनाव करेंगे। इन दिनों कार्डिनलमण्डल की बैठकें जारी हैं जिनके दौरान वर्तमान विश्व द्वारा काथलिक कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों पर विशद विचार विमर्श किया जा रहा है। साथ ही काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिये धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा जारी "यूनीवर्सी दोमेनीची ग्रेजिस" प्रेरितक संविधान का अध्ययन किया जा रहा है ताकि समय की मांग के अनुकूल परमाध्यक्ष का चुनाव किया जा सके। विचार विमर्श और अध्ययन के साथ-साथ प्रतिदिन कार्डिनलमण्डल के सदस्य प्रार्थना, मनन चिन्तन एवं पवित्र यूखारिस्त को भी पर्याप्त समय दे रहे हैं ताकि इस चुनाव के लिये प्रभु ईश्वर की प्रेरणा मिल सके।
भावी सन्त पापा के चुनाव और कार्डिनलमण्डल के सदस्यों की बैठकों की पृष्ठभूमि में विश्व के समाचार पत्र एवं अन्य सम्प्रेषण माध्यम भी काथलिक कलीसिया पर अपनी दृष्टि लगाये हुए हैं। चुनाव प्रक्रिया कैसी होती है, कौन इसमें भाग लेता, क्या सबकुछ पहले से ही तय होता है आदि आदि प्रश्न कौतूहल का विषय बन गये हैं। श्रोताओ, ऐसी स्थिति में परमाध्यक्षीय चुनाव प्रक्रिया के बारे में आपको परिचित कराना हमें उचित जान पड़ा। तो आइये एक दृष्टि डालें सन्त पापा की चुनाव प्रक्रिया परः
प्रेरितिक संविधान के अनुसार भावी सन्त पापा के चुनाव में 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल ही नए पोप के चुनाव में मतदान कर सकते हैं। इस बार, इन कार्डिनलों की संख्या 115 है। मतदान गुप्त होता है तथा कार्डिनलों के साथ साथ उनकी सेवा में संलग्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी गोपनीयता की शपथ ग्रहण करनी पड़ती है।
सम्पूर्ण चुनाव प्रक्रिया के दौरान सभी मतदाता कार्डिनल, वाटिकन स्थित सान्ता मार्था प्रेरितिक आवास में निवास करेंगे तथा मत डालने के लिये वाटिकन म्यूज़ियम के एक छोर पर स्थित सिस्टीन प्रार्थनालय में एकत्र होंगे।
चुनाव प्रक्रिया आरम्भ हो जाने पर प्रत्येक कार्डिनल को कम से कम दो या तीन पेपर बैलट दिये जाते हैं ताकि ग़लती हो जाने पर सुधार की सुविधा रहे। सर्वप्रथम नौ कार्डिनल निर्वाचन पदाधिकारियों के तौर पर चुन लिये जाते हैं। इनमें से तीन मतगणना के लिये होते हैं तथा तीन मतगणना का पुनः परीक्षण करते हैं। शेष तीन पदाधिकारियों की ज़िम्मेदारी स्वास्थ्य कारणों से सिस्टीन प्रार्थनालय तक पहुँचने में असमर्थ कार्डिनलों के मतों को एकत्र करना होता है।
सिस्टीन प्रार्थनालय में एकत्र होने पर प्रार्थनाओं के उपरान्त चुनाव प्रक्रिया आरम्भ होती है जिसके दौरान प्रत्येक कार्डिनल भावी सन्त पापा के बारे में अपनी पसंद, बैलट पेपर पर हाथ से लिखकर, जाहिर करते हैं। निर्वाचन पदाधिकारी भी ऐसा ही करते हैं। तदोपरान्त, मतपत्र एकत्र कर लिये जाते हैं तथा निर्वाचन पदाधिकारी इनकी छटनी करते हैं और फिर कुल मतपत्रों की गिनती की जाती है। मतपत्रों की संख्या यदि सही नहीं हुई तो मतपत्र जला दिये जाते हैं तथा एक बार फिर मतदान की सारी प्रक्रिया पुनः दुहराई जाती है।
मतों की गिनती के लिए हर मतपत्र को खोला जाता है और फिर छंटनी करने वाला धर्माधिकारी उन्हें पढ़ता है। प्रत्येक व्यक्ति को मिले मत का ब्योरा अलग से एक कागज़ पर लिखा जाता है और जिन मतपत्रों पर एक से ज्यादा नाम लिखे होते हैं, उन्हें अमान्य करार दिया जाता है। वे मतपत्र भी अमान्य करार दिए जाते हैं जो स्पष्ट तौर पर नहीं लिखे जाते हैं। इसके बाद के चरण में निर्वाचन पदाधिकारी मतों की गिनती के आधार पर विजेता के बारे में तय करते हैं। पुनः परीक्षण में लगे निर्वाचन पदाधिकारी इस पूरी प्रक्रिया की पुष्टि करते हैं और इसके बाद मतपत्र जला दिए जाते हैं। नये सन्त पापा की नियुक्ति के लिये दो-तिहाई मतों की ज़रूरत होती है।
एक बात ग़ौर करने योग्य यह कि मतपत्रों को जलाने के लिये सिस्टीन प्रार्थनालय में एक विशिष्ट चिमनी प्रस्थापित है। परम्परा का पालन करते हुए मतपत्रों को जलाने के लिये एक खास रसायन का उपयोग किया जाता है। जब तक नये सन्त पापा का चुनाव नहीं हो जाता तब तक चिमनी में मतपत्रों पर पानी छिड़क कर जलाया जाता है जिससे काला धुआँ निकलता है। जब नये सन्त पापा चुन लिये जाते हैं तब मतपत्रों पर एक खास रसायन छिड़क दिया जाता है जिससे सफेद धूआँ निकलने लगता है। तदोपरान्त निर्वाचित परमाध्यक्ष की स्वीकृति ली जाती है तथा उनसे पूछा जाता है कि वे किस नाम से पुकारा जाना पसन्द करेंगे। नवनिर्वाचित कलीसिया के परमाध्यक्ष की स्वीकृति मिलने के बाद, वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर की मुख्य बालकनी से, विश्व के समक्ष काथलिक कलीसिया के नवनिर्वाचित परमाध्यक्ष की नियुक्ति तथा उनके नाम का ऐलान कर दिया जाता है। इसी अवसर पर नवनिर्वाचित परमाध्यक्ष सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र तथा रेडियो एवं टेलिविज़न के माध्यम से जुड़े लोगों को दर्शन देकर सम्बोधित करते हैं।
समाचारों में इन दिनों यह भी ख़बरें पढ़ने को मिली कि क्या सन्त पापा के चुनाव में हेरा फेरी हो सकती है? इसके उत्तर में यही कहा जा सकता है कि इसमें हेरा फेरी का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि पूरी मतदान प्रक्रिया हाथों से सम्पन्न की जाती है जिससे किसी तरह के तकनीकी हमलों का ख़तरा नहीं रहता। फिर मतदान प्रक्रिया के अलग-अलग चरणों में इसकी निगरानी के लिए एक से अधिक लोग शामिल रहते हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि सन्त पापा के चुनाव में भागलेनेवाले कार्डिनलों की संख्या अपेक्षाकृत छोटी होती है। इस वजह से किसी बाहरी आदमी के इसमें दखल देने की कोई गुंजाइश नहीं बचती। मतदान में भाग लेने वाले कार्डिनलों के सामने एक दूसरे का क्रियाकलाप पारदर्शी होता है। उनके मतपत्र दिखाई देते हैं और यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक कार्डिनल एक ही वोट दे। सभी कार्डिनल एक दूसरे से परिचित होते हैं जिससे किसी तरह की धोखाधड़ी की संभावना लगभग नहीं के बराबर ही रहती है। कई चरणों में होने वाली जांच और फिर से जाँच की वजह से इसकी संभावना भी क्षीण ही है और चूंकि हर मतपत्र के लिए जांच करने वाले कार्डिनल को बेतरतीब तरीके से चुना जाता है इसलिए किसी तरह की साजिश की संभावना भी नहीं के बराबर ही रहती है।









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