2013-03-02 15:39:48

पोप की विरासत को आगे ले जाने की ज़रूरत


वाटिकन सिटी, शनिवार, 2 मार्च, 2013 (वीआर, अंग्रेज़ी) अवकाशप्राप्त संत पापा बेनेदिकित सोलहवें की प्रज्ञा, अंतरधार्मिक वार्ता और मानवाधिकार की रक्षा के प्रति समर्पण विश्व के लिये अति महत्वपूर्ण हैं।
उक्त बात संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बानकी मून ने शुक्रवार 1 मार्च को उस समय कहा जब उन्होंने सेवानिवृत्त संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के पदत्याग पर वाटिकन रेडियो को अपने विचार दिये।
उन्होंने कहा, "हम संत पापा के आध्यात्मिक नेतृत्व के प्रति आभारी है।"
महासचिव ने कहा कि उन्होंने एक पत्र लिख कर संत पापा को उनके योगदान के लिये सराहा है और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता दिखलायी है। उन्होंने कहा, "मैने अन्तरधार्मिक वार्ता के प्रति उनके संकल्प, गरीबी और भूख से मुक्ति के प्रयास मानवाधिकार और मानव मर्यादा की रक्षा और विश्व शांति के प्रति उनके प्रयासों की सराहना की है।"
यूएन महासचिव ने कहा, "मेरी दृढ़ आशा है कि अपने संत पापा काल में जिस पोप ने वार्ता और सहिष्णुता के साथ कार्य करने का जो विवेक सिखाया है उसे आगे बढ़ाये जाने की ज़रूरत है ताकि पूरे विश्व के लोग शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में जीवन जी सकें।"
मालूम हो यूएन महासचिव ने संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के शासनकाल के आरंभिक दिनों में ही रोम आकर संत पापा से मुलाक़ात की थी और पोप बेनेदिक्त सोलहवें ने भी सन् 2008 में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यालय का दौरा किया था।










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