नोबेल पुरस्कृत नास्तिक को संत पापा के पदत्याग की वेदना
लीमा, पेरु 28 फरवरी, 2013 (सीएनए) पेरु के एक स्वघोषित नास्तिक लेखक मारियो वारगास लोसा
ने संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के पदत्याग को विश्व के लिये एक गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक
क्षति बतलाया है।
साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मारियो वारगास लोसा
ने कहा कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का पदत्याग ने मुझे चकित किया है। वैसे तो पदत्याग
असाधारण है पर अप्रत्याशित नहीं।
वारगास ने स्पैनिश दैनिक ‘एल पाइस’ में स्पानी
लिखे अपने स्तंभ में कहा कि संत पापा ने जो भी विचार व्यक्त किये वे ईशशास्त्र, दर्शनशास्त्र,
इतिहास और साहित्यिक जानकारियों से परिपूर्ण हुआ करते थे।
उन्होंने कहा कि संत
पापा बेनेदिक्त सोलहवें के विचार ख्रीस्तीय कट्टरपंथियों की थी पर उनके दस्तावेज़ और
उनकी किताबें नीति, संस्कृति और मानव जाति की समस्याओं के अर्थपूर्ण चिन्तन होते थे,
जो मात्र सिद्धांतवादी नहीं थे।
वारगास ने कहा कि संत पापा का शासनकाल काथलिक
कलीसिया के इतिहास का एक चुनौतीपूर्ण काल रहा जिसे कलीसिया ने 2000 वर्षों में कभी नहीं
झेला।
वारगास ने इस बात के लिये प्रसन्नता जतायी कि संत पापा ने पुरोहितों के
यौन दुराचार से क्षमा माँगी और इसके शिकार लोगों से मुलाक़ात की।
उन्होंने नियम
भी बनाये ताकि भविष्य में कलीसिया में ऐसी गलतियाँ न हो और उत्पीड़ितों को न्याय मिले।
वारगास ने कहा कि संत पापा ने न केवल कलीसिया के रूढ़िवादी परंपरा के प्रस्तुत
किया पर कलीसिया की उच्च और क्रांतिकारी प्राचीन उच्च साहित्य और पुनर्जागृत संस्कृति
का भी पुस्कालयों, कोन्वेन्टों और सेमिनरियों में प्रसार किया।