‘मोतु प्रोप्रियो’ में पदत्याग, रिक्त परमधर्मपीठ और कोनक्लेव संबंधी निर्देश की संभावना
वाटिकन सिटी, 23 फरवरी, 2013 (एशियान्यूज़) संत पापा के पदत्याग के पूर्व अपेक्षित ‘मोतु
प्रोप्रियो’ अर्थात् स्वप्रेरणा से लिखे जाने वाले संत पापा के पत्र में सिर्फ़ उन ‘विशेष
बिन्दुओं’ की चर्चा होगी जिसमें संत पापा के पदत्याग, रिक्त परमधर्मपीठ और कोनक्लेव से
संबंधित निर्देश हों।
उक्त बात विधान ग्रंथों के लिये बनी परमधर्मपीठीय परिषद
के सचिव धर्माध्यक्ष हुवान इग्नासियो अरियेता ने उस समय कही जब उन्हें संत पापा के पदत्याग
की घोषणा से उभरी स्थिति के बारे में पूछा गया।
उन्होंने बताया "जबतक परमधर्मपीठ
का आसन खाली नहीं हो जाता है संत पापा पोप चुनाव की प्रक्रिया को संशोधित कर सकते हैं।और
जैसे ही वाटिकन परमधर्मपीठ का पद रिक्त हो जायेगा कोनक्लेव की ज़िम्मेदारी कार्डिनल मंडल
पास आ जायेगी।"
विदित हो कि 17 वर्ष पूर्व संत पापा धन्य जोन पौल द्वितीय ने
22 फरवरी 1996 को वाटिकन परमधर्मपीठ का पद खाली होने और नये संत पापा के चुनाव के लिये
प्रेरितिक संविधान ‘यूनेवेरसी दोमिनिची ग्रेगिस’ के नियमों का संशोधन किया था।
काथलिक
कलीसिया के विधान ‘कैनन लॉ’ के विशेज्ञ ने इस बात की जानकारी दी कि कोनक्लेव संबंधी नियम
"बहुत ही कड़े हैं ताकि किसी प्रकार की अनिश्चतता या आशंका से बचा जा सके।"
उन्होंने
कहा कि कार्डिनलों को कोनक्लेव में हिस्सा लेना उनका दायित्व है और नियम की धारा 39 के
अनुसार वे आज्ञापालन के व्रत के तहत् कोनक्लेव की घोषणा को मानने के लिये बाध्य हैं।
धर्माध्यक्ष अरियेता ने बतलाया कि ऐसे कार्डिनल जो किसी कारणवश कलीसिया से बहिष्कृत
किये गये है उन्हें भी धारा 35 के अनुसार संत पापा चुनाव में वोट देने से वंचित नहीं
किया जा सकता है।
कोनक्लेव की शक्ति के बारे में जानकारी देते हुए धर्माध्यक्ष
ने कहा कि जैसे ही संत पापा का पद रिक्त हो जाता है कि उनकी सारी शक्तियाँ कार्डिनल मंडल
को चली जाती हैं। फिर भी ये शक्तियाँ सीमित ही होती हैं और कलीसिया के कार्यक्रमों विशेष
करके कोनक्लेव के संचालन और ऐसे कलीसियाई मुद्दे जिन्हें स्थगित नहीं किया जा सकता, पर
लागू होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले जो संत पापा के लिये सुरक्षित हों उनपर उनकी
कोई शक्ति नहीं होती।
विधान ग्रंथों के लिये बनी परिषद के सचिव ने कहा कि साधारणतः
संत पापा पद के रिक्त होने के 15-20 दिनों के बाद कोनक्लेव आरंभ किया जाता है पर यदि
सब कार्डिनल रोम में उपस्थित हों तो इस कार्डिनल मंडली के साधारण बहुमत से पास होने के
बाद इसके आरंभ होने की घोषणा की जा सकती है।