2013-02-20 07:35:36

प्रेरक मोतीः कोरदोवा के धन्य आलवारेज़ (1350-1430)


वाटिकन सिटी, 19 फरवरी सन् 2013

लगभग सन् 1350 ई. में कोरदोबा के आलवारेज़ या ज़मोरा के आलवारेज़ का जन्म कोरदोबा, स्पेन में हुआ था। सन् 1368 ई. में वे दोमिनिकन धर्मसमाज में भर्ती हो गये थे। प्रवचनकर्त्ता रूप में अपने कौशल के कारण वे इटली तथा स्पेन में विख्यात हो गये थे। प्रवचन करने के अलावा कोरदोबा के आलवारेज़, गॉन्ट्स के जॉन की सुपुत्री महारानी कैथरीन के परामर्शदाता एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थे। युवाकाल में वे राजा जॉन द्वितीय के शिक्षक भी रहे थे। आलवारेज़ ने स्पेन के राजदरबार में कई सुधार किये और इसके बाद दरबार का परित्याग कर वे कोरदोबा के निकट एक मठ की स्थापना के लिये चल दिये। कोरदोबा में उन्होंने जिस एसकालाचेली (स्वर्ग की सीढ़ी) का निर्माण किया था वह धार्मिक भक्ति का केन्द्र बन गया है। अपने प्रवचनों द्वारा उन्होंने प्रभु येसु के दुखभोग पर मनन चिन्तन को प्रोत्साहित किया। शीघ्र ही सम्पूर्ण स्पेन एवं इटली के अनेक क्षेत्रों में दोमिनिकन मठवासी आलावारेज़ अपने प्रवचनों, शिक्षा एवं प्रचार कार्यों, तप-तपस्या एवं पवित्रता के लिये विख्यात हो गये थे। 19 फरवरी सन् 1430 ई. को अस्सी वर्ष की आयु में आलवारेज़ का निधन हो गया था। सन् 1741 ई. में उनकी भक्ति को कलीसिया ने मान्यता देकर पुष्ट किया था। धन्य आलवारेज़ का पर्व 19 फरवरी को मनाया जाता है।



चिन्तनः "पृथ्वी के शासको! न्याय से प्रेम रखो। प्रभु के विषय में ऊँचे विचार रखो और निष्कपट हृदय से उसे खोजते रहो; क्योंकि जो उसकी परीक्षा नहीं लेते, वे उसे प्राप्त करते हैं। प्रभु अपने को उन लोगों पर प्रकट करता है, जो उस पर अविश्वास नहीं करते" (प्रज्ञा ग्रन्थ 1, 1-2)।








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