2013-02-19 17:45:44

प्रार्थना है - श्वास लेना, सोचना, संघर्ष करना और प्रेम करना


वाटिकन सिटी, 19 फरवरी, 2013 (न्यूज़.वीए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें और रोमन कूरिया के सदस्यों के लिये रविवार 17 शाम से वाटिकन प्रासाद में चल रहे चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना में प्रवचन देते हुए कार्डिनल रवासी ने कहा, "प्रार्थना करने का अर्थ है, श्वास लेना, सोचना, संघर्ष करना और ईश्वर को प्यार करना।"
विदित हो कि प्रत्येक वर्ष संत पापा चालीसा काल में रोमन कूरिया के सदस्यों के साथ अपना समय एक सप्ताह के लिये प्रार्थना में व्यतीत करते हैं। रविवार 17 फरवरी को आरंभ आध्यात्मिक साधना शनिवार 23 फरवरी को समाप्त हो जायेगा।
संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जियानफ्रांको रवासी सप्ताहभर चलने वाले आध्यात्मिक साधना के लिये 17 अलग-अलग विषयवस्तुओं का चुनाव किया है।
सोमवार को अपने प्रवचन में कार्डिनल रवासी ने ईशवचन पर प्रवचन दिये। उन्होंने ‘प्रकाशित ईशवचन’ और ‘सर्जनात्मक ईशवचन’ पर अपने विचार देते हुए कहा, " ईशवचन हमारी आत्मा को प्रकाशित करता, जागृत करता और हमें एक नयी आशा प्रदान करता है।"
उन्होंने कहा ईश्वर ने अपने आपको वचन के रूप में प्रकट किया। उन्होंने शब्दमात्र से दुनिया की सृष्टि की। उन्होंने कहा प्रकाश हो जाये और दुनिया प्रकाशित हो गया।
अपने पहले दिन के प्रवचन में कार्डिनल रवासी ने स्तोत्र 23 पर भी अपने चिन्तन व्यक्त किये। उनके अनुसार स्तोत्र 23 में ईश्वर ने अपने को एक भले चरवाहे के रूप में प्रकट किया है जहाँ ईश्वर अपने लोगों की अगवाई करते और उनके मार्ग में साथ देते हैं।
कार्डिनल रवासी ने अपने तीसरे मनन-चिन्तन में स्तोत्र 19 पर अपने विचार व्यक्त किये जिसमें ईश्वर का वर्णन एक सृष्टिकर्ता रूप में किया गया है। उन्होंने कहा, " मानव आज उन चीज़ों की ओर देखता है जिसे उसने खुद बनाया है पर ईश्वर की ऐसी सृष्टि को नज़रअंदाज़ कर देता है जो आश्चर्य से भरा है।"
कार्डिनल ने कहा, "विश्वास कारण ढूँढ़ता है और विज्ञान बताता है कि कैसे इस पूरा किया जा सकता है। किसी को प्रेम करने के लिये ज़रूरी है उसे जानना और दिव्य बातों को प्रेम करना ज़रूरी है ताकि हम उन्हें समझ सकें।"








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