2013-02-18 12:04:24

वाटिकन सिटीः दुखभोग के पहले रविवार को देवदूत प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


वाटिकन सिटी, 18 फरवरी सन् 2013 (सेदोक): श्रोताओ, 17 फरवरी को, दुखभोग के प्रथम रविवार के दिन, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, भक्तों को इस प्रकार सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

विगत बुधवार को, राख की पारम्परिक धर्मविधि द्वारा हमने चालीसा काल में प्रवेश किया था जो पास्का महापर्व की तैयारी में मनपरिवर्तन एवं पश्चाताप का काल है। कलीसिया, जो माता एवं शिक्षिका है, अपने समस्त सदस्यों को, प्रेम से ओत् प्रोत् जीवन जीने हेतु, घमण्ड और अहंकार का परित्याग करते हुए, आत्मा में नवीकृत होने तथा निश्चयात्मक ढंग से, ईश्वर की ओर पुनः अभिमुख होने के लिये आमंत्रित करती है। हमारे जीवन एवं कलीसिया के जीवन के आधारभूत मापदण्ड रूप में, विश्वास को समर्पित इस वर्ष के दौरान, चालीसा काल ईश्वर में विश्वास की पुनर्खोज का अनुकूल समय है। इसमें सदैव एक संघर्ष, एक आध्यात्मिक संघर्ष विद्यमान रहता है, क्योंकि बुराई की आत्मा निस्सन्देह हमारे पवित्रीकरण का विरोध करती है तथा इस प्रयास में लगी रहती है कि हम ईश्वर के रास्ते से अलग हट जायें। इसीलिये, चालीसाकाल के पहले रविवार के दिन, प्रतिवर्ष, उजाड़ प्रदेश में येसु के प्रलोभन सम्बन्धी सुसमाचार की घोषणा की जाती है।

सन्त पापा ने आगे कहाः "मसीह रूप में "प्रतिष्ठापन" पा लेने के उपरान्त, वास्तव में येसु, यर्दन नदी में बपतिस्मा के अवसर पर पवित्रआत्मा से "विलेपित" हुए और बाद में उन्हीं पवित्रआत्मा द्वारा, शैतान के प्रलोभन में पड़ने हेतु, उजाड़ प्रदेश में ले जाये गये थे। अपनी सार्वजनिक प्रेरिताई आरम्भ करने के क्षण, येसु को, प्रलोभक द्वारा प्रस्तावित, मसीह की मिथ्या छवियों का पर्दाफाश एवं बहिष्कार करना पड़ा। हालांकि, ये प्रलोभन मानव की भी मिथ्या छवियाँ हैं, जो, प्रच्छन्न रूप से, सुविधाजनक एवं प्रभावशाली और यहाँ तक कि अच्छे प्रस्ताव कर, हर समय अन्तःकरण को सताती रहती हैं। सुसमाचार लेखक सन्त मत्ती एवं सन्त लूकस, केवल कुछ भागों में उनके क्रम को बदल कर, येसु के तीन प्रलोभनों को प्रस्तुत करते हैं। इन प्रलोभनों का मूलभूत केन्द्र अपने स्वार्थ के लिये, सफलता एवं भौतिक वस्तुओं को अधिक महत्व देते हुए, ईश्वर के नाम का दुरुपयोग करना है।

सन्त पापा ने कहा, "प्रलोभक चालाक हैः वह हमें प्रत्यक्ष रूप से बुराई की ओर नहीं ढकेलता अपितु झूठी या नकली अच्छाई की ओर ढकेलता है, वह यह विश्वास करने के लिये बाध्य करता है कि यथार्थ वास्तविकता सत्ता तथा वह है जो बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करती है। इस प्रकार, ईश्वर गौण हो जाते हैं, वे केवल साधन मात्र बन जाते हैं, निश्चित्त रूप से, अवास्तविक बन जाते हैं, उनका कोई महत्व नहीं रह जाता, वे गायब हो जाते हैं। अन्तिम विश्लेषण में, प्रलोभनों में विश्वास दाँव पर लगाया जाता है, क्योंकि ईश्वर दाँव पर लगाये जाते हैं। जीवन के निर्णायक क्षणों में, वस्तुतः जीवन के हर पल हम एक दुविधा या धर्मसंकट में पड़े रहते हैं: हम अपने अहं के पीछे जाना चाहते हैं या ईश्वर का अनुसरण करना चाहते हैं? व्यक्तिगत अभिरुचि के पीछे भागते हैं या फिर यथार्थ अच्छाई के पीछे जो कि वास्तव में भली है?"

सन्त पापा ने कहा, "जैसा कि कलीसिया के आचार्य हमें सिखाते हैं कि प्रलोभन, पाप के अगाध गर्त में तथा उसके परिणामों सहित, हमारी मानव स्थिति को धारण करने हेतु येसु के "उतार" का अभिन्न अंग है। ऐसा "उतार" जिसे येसु ने अन्त तक, क्रूस पर मरण तक तथा ईश्वर से अति दूर नर्क तक पूरा किया। इस प्रकार येसु वह बाँह हैं जिसे ईश्वर ने मानव तक फैलाया है, खोई हुई भेड़ तक ताकि उसे सुरक्षित वापस ला सकें।"

आगे सन्त पापा ने कहा, "जैसा कि सन्त अगस्टीन शिक्षा देते हैं, येसु ने हमसे प्रलोभनों को अपने ऊपर ले लिया ताकि वे हमें अपनी विजय का वरदान दे सकें। अस्तु, हम भी बुराई की आत्मा के विरुद्ध संघर्ष करने से न डरें: महत्वपूर्ण यह है कि ऐसा हम विजयी ख्रीस्त के साथ मिलकर करें। उनके साथ सदा रहने के लिये हम माँ मरियम पर अपनी दृष्टि लगायेः परीक्षा का घड़ी में पुत्रसुलभ विश्वास के साथ हम उन्हें पुकारें और वे हमें अपने दिव्य पुत्र की शक्तिशाली उपस्थिति का अनुभव करायेंगी ताकि ख्रीस्त के वचन द्वारा हम प्रलोभनों का बहिष्कार कर सकें तथा इस प्रकार ईश्वर को एक बार फिर अपने जीवन का केन्द्र बना सकें।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सभी भक्तों पर शान्ति का आह्वान किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदोपरान्त, सन्त पापा ने विभिन्न भाषाओं में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर शुभकामनाएँ अर्पित कीं। अँग्रेज़ी भाषा भाषियों का अभिवादन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "आज हम उजाड़ प्रदेश में उपवास करनेवाले, प्रार्थना में लीन रहनेवाले तथा प्रलोभन के शिकार बने ख्रीस्त पर चिन्तन करते हैं। चालीसा की तीर्थयात्रा शुरु करने के सुअवसर पर हम येसु के साथ एकप्राण होवें तथा उनसे आग्रह करें कि वे हमें अपनी कमज़ोरियों को पराजित करने की शक्ति दें। इन दिनों मेरे लिये प्रार्थना करने तथा मेरे प्रति प्रदर्शित समर्थन के लिये भी मैं आपको हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। ईश्वर आप सबको आशीष दें।"

अन्त में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सभी उपस्थित तीर्थयात्रियों के प्रति शुभ रविवार और शुभ सप्ताह की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।








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