वाटिकन सिटीः पुरोहितों को दिये प्रभाषण में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने द्वितीय वाटिकन
महासभा के अनुभवों को किया स्मरण
वाटिकन सिटी, 15 फरवरी सन् 2013 (सेदोक): वाटिकन स्थित सन्त पापा पौल षष्टम् भवन में,
गुरुवार को रोम धर्मप्रान्त के हज़ारों पुरोहितों ने रोम के प्रतिधर्माध्यक्ष कार्डिनल
वाल्लीनी के नेतृत्व में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।
सन्त पापा के पदत्याग की घोषणा के उपरान्त प्रतिवर्ष होनेवाली पुरोहितों की पारम्परिक
मुलाकात का माहौल मर्मस्पर्शी रहा। करतल ध्वनि, जयनारों एवं आँसू बहाकर पुरोहितों ने
सन्त पापा का अपने बीच स्वागत किया। 46 मिनटों तक दिये अपने सन्देश में सन्त पापा
बेनेडिक्ट 16 वें ने पुरोहितों के समक्ष पचास वर्ष पूर्व सम्पन्न द्वितीय वाटिकन महासभा
में अपने अनुभवों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि महासभा में वे धर्मतत्वविज्ञान के
प्राध्यापक होने के नाते, परामर्शक के रूप में, कोलोन के कार्डिनल फ्रिंज के साथ गये
थे। पुरोहितों को सन्त पापा ने बताया कि द्वितीय वाटिकन महासभा का प्रमुख उद्देश्य
कलीसिया का नवीनीकरण था। इस कार्य के लिये अतीत की ग़लतियों को सुधारने एवं नये प्रारम्भ
के साथ साथ मानवजाति के उज्जवल भविष्य एवं यथार्थ विकास के लिये कलीसिया और विश्व की
सर्वोत्तम अच्छाइयों के बीच एक नये सम्बन्ध का प्रण किया गया था। सन्त पापा ने कहा
कि द्वितीय वाटिकन महासभा नवीनीकरण के अपने कई लक्ष्यों को प्राप्त कर पाई जो उसके द्वारा
प्रकाशित अनेक दस्तावेज़ों से स्पष्ट है। तथापि, सन्त पापा ने कहा कि द्वितीय वाटिकन
महासभा के बारे में प्रेस एवं मीडिया ने बहुत सी भ्रान्तियाँ भी उत्पन्न की हैं क्योंकि
उन्होंने इस महासभा को कलीसिया में सत्ता की होड़ एवं राजनैतिक संघर्ष के रूप में दर्शाया
है। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि मीडिया द्वारा द्वितीय वाटिकन महासभा पर
प्रकाशित मिथ्या रिपोर्टें ही बाद में उठी अनेक समस्याओं का कारण हैं। इसके कारण काथलिक
गुरुकल बन्द हुए, रविवारों को गिरजाघरों में श्रद्धालुओं की उपस्थिति कम हुई तथा पूजनपद्धति
में हलकापन एवं नगण्यता ने प्रवेश किया। पुरोहितों से सन्त पापा ने कहा कि विश्वास
पर आधारित "वास्तविक महासभा" आज अपनी "पूर्ण आध्यात्मिक शक्ति के साथ उभर रही है" तथा
हमारा दायित्व है कि हम अपने कार्यों द्वारा, पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से, यथार्थ महासभा
को चरितार्थ होने दें तथा कलीसिया में सच्चा नवीनीकरण लायें। पुरोहितों को सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने आश्वासन दिया कि हालांकि, वे विश्व से छिपे रहेंगे तथापि, अपनी
प्रार्थनाओं में वे सदैव कलीसिया के समीप रहेंगे। उन्होंने कहा, "प्रार्थना में, मैं
आप सबके साथ रहूँगा तथा प्रभु के साथ मिलकर हम निश्चित्तता की ओर आगे बढ़ते रहेंगे। प्रभु
विजयी हैं।"