2013-02-15 11:25:01

नई दिल्लीः भारत की कलीसिया को विविधता में एकता का आदर्श बने, कार्डिनल फिलोनी


नई दिल्ली, 15 फरवरी सन् 2013 (सेदोक): वाटिकन के परमधर्मपीठीय सुसमाचार प्रचार परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल फिलोनी ने गुरुवार, 14 फरवरी को नई दिल्ली स्थित प्रेरितिक राजदूतावास में कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं आमंत्रित अतिथियों को सम्बोधित कर कहा कि भारत की कलीसिया को बहु-सांस्कृतिक एवं बहु-धार्मिक भारतीय समाज के लिये विविधता में एकता का आदर्श बनना चाहिये।
ग़ौरतलब है कि भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 50 वीं वर्षगाँठ तथा तमिल नाड के वेलांकनी में माता मरियम के तीर्थ की 50 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में कार्डिनल फिलोनी सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के विशेष दूत रूप में, 9 से 16 फरवरी तक, भारत की प्रेरितिक यात्रा पर हैं।
कार्डिनल फिलोनी ने गुरुवार को अपने सम्बोधन में कहा कि उक्त दो वर्षगाँठों के साथ साथ ईस्ट इन्डीज़ में प्रेरितिक प्रतिनिधित्व की स्थापना की 130 वीं वर्षगाँठ भी मनाई जा रही है जो पहले सिलॉन, माल्लाका तथा बर्मा तक विस्तृत थी।
कार्डिनल फिलोनी ने इस अवसर पर भारतीय काथलिक कलीसिया द्वारा किये जा रहे विकास एवं जनकल्याण कार्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की तथा कहा कि अनेकानेक धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों की निःस्वार्थ सेवा द्वारा यह सम्भव बन पड़ा है। पौरोहित्य एवं समर्पित जीवन हेतु भारतीय कलीसिया में विकसित असंख्य बुलाहटों के लिये कार्डिनल महोदय ने ईश्वर को धन्यवाद दिया तथा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं जनकल्याण के क्षेत्र में भारतीय याजकवर्ग एवं लोकधर्मियों के अनुपम कार्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की। तथापि, उन्होंने कहा कि भारतीय कलीसिया विकास एवं जनकल्याण के अलावा भी कुछ और देने में सक्षम है।
कार्डिनल फिलोनी ने शब्दों में, "मुझे लगता है कि भारत की काथलिक कलीसिया भारतीय समाज को और बहुत कुछ दे सकती है। वह पहले से शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण एवं विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। इन नेक कार्यों को जारी रखते हुए, विशेष रूप से, विश्वास को समर्पित वर्ष के दौरान उसे विश्वास का भी साक्ष्य देना चाहिये। इस बहुसांस्कृतिक एवं बहुधार्मिक समाज में काथलिक कलीसिया को विविधता में एकता का उदाहरण बनना चाहिये ताकि भारत शांति में नित्य विकसित एवं अग्रसर होता जाये।








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